जनजातीय गौरव दिवस: आखिर कौन थे आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा

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जनजातीय गौरव दिवस: आखिर कौन थे आदिवासी नायक

आज 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती है इस अवसर पर देश भर के अलग-अलग स्थानों पर अनेकों कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है  आज भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है आइए आपको इस अवसर पर आदिवासियों के जननायक के इतिहास के बारे में कुछ तथ्य बताते हैं .

आपको बता दें कि बिरसा मुंडा कौन थे जीवन के संघर्ष को देखते हुए भगवान का दर्जा प्राप्त है मुंडा विद्रोह के नेतृत्वकर्ता बिरसा मुंडा का जन्म नवंबर 18 सो 70 में हुआ था . 1 अक्टूबर 1894  को बिरसा मुंडा के नेतृत्व में मुंडा ने  अंग्रेजी हकूमत वारा लगाए गए को माफ करने के लिए आंदोलन किया था . 1895  को उन्हें गिरफ्तार किया गया और आशीर्वाद केंद्रीय कारागार में लगभग 2 साल के लिए कार्यवाह के सदस्य गई थी . कारावास की 2 साल की सजा काटने के बाद भी उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ  सशस्त्र क्रांति का आवाहन किया .जिसके बाद उन्हें मार्च 1900 में एक बार फिर गिरफ्तार किया गया कारावास में दी गई यातनाओं के कारण  जून 1900 को रांची के कारावास में उनकी जीवन यात्रा समाप्त  हुई.

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