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18 मार्च 2023
शिमला : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शनिवार को पत्रकार वार्ता की । इसमें हिमाचल प्रांत के प्रांत संघचालक प्रो वीर सिंह रांगड़ा ने कहा कि हिमाचल प्रांत में संघ सामाजिक समरसता, कुटम्ब प्रबोधन और पर्यावरण गतिविधियों पर काम करेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में वर्ष 2020 में संघ की शाखाएं 52,215 थी जो 2023 में बढ़कर 68,651 हो गई हैं। उन्होंने कहा कि कोराना काल में साढ़े पांच लाख से अधिक स्वयंसेवकों द्वारा गांव, नगर व शहरों में समाज सेवा के कार्य किये गये। इस बार अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक का आयोजन 12,13 व 14 मार्च को हरियाणा प्रांत के समालखा, पानीपत में किया गया ।
उन्होंने कहा कि इस बैठक का उद्देश्य संघ कार्य के विस्तार और संघ कार्य के गुणात्मक पक्ष पर चर्चा करना होता है और संघ के शताब्दी वर्ष में देश के एक लाख गांव तक संघ का कार्य ले जाने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने कहा कि संघ के शताब्दी वर्ष 2025 के लिए अभी से 1300 शताब्दी विस्तारक निकल चुके हैं, जिसमें हिमाचल का भी योगदान है। ये शताब्दी विस्तारक 2 वर्ष के लिए कार्य करेंगे। वीर सिंह रांगड़ा ने कहा कि इस वर्ष 20,000 नये प्रशिणार्थियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा जो कि संघ का कार्य करेंगे। इसको लेकर प्रतिनिधि सभा में प्रस्ताव पारित किया गया। पत्रकार वार्ता में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हिमाचल प्रांत प्रचार प्रमुख, महीधर प्रसाद भी उपस्थित रहे।
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‘स्व’ आधारित राष्ट्र के नवोत्थान का लें संकल्प
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का यह सुविचारित अभिमत है कि विश्व कल्याण के उदात्त लक्ष्य को मूर्तरूप प्रदान करने हेतु भारत के ‘स्व’ की सुदीर्घ यात्रा हम सभी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रही है। विदेशी आक्रमणों तथा संघर्ष के काल में भारतीय जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ तथा सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व धार्मिक व्यवस्थाओं को गहरी चोट पहुँची। इस कालखंड में पूज्य संतों व महापुरुषों के नेतृत्व में संपूर्ण समाज ने सतत संघर्ष रहते हुए अपने ‘स्व’ को बचाए रखा। इस संग्राम की प्रेरणा स्वधर्म, स्वदेशी और स्वराज की ‘स्व’ त्रयी में निहित थी, जिसमें समस्त समाज की सहभागिता रही। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर सम्पूर्ण राष्ट्र ने इस संघर्ष में योगदान देने वाले जननायकों, स्वतंत्रता सेनानियों तथा मनीषियों का कृतज्ञतापूर्वक स्मरण किया है।
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भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर उभरी
स्वाधीनता प्राप्ति के उपरांत हमने अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। आज भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर उभर रही है। भारत के सनातन मूल्यों के आधार पर होने वाले नवोत्थान को विश्व स्वीकार कर रहा है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अवधारणा के आधार पर विश्वशांति, विश्व बंधुत्व और मानव कल्याण के लिए भारत अपनी भूमिका निभाने के लिए अग्रसर है।
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समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए खड़े करने होंगे नए प्रतिमान
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का मत है कि सुसंगठित, विजयशाली व समृद्ध राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया में समाज के सभी वर्गों के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति, सर्वांगीण विकास के अवसर, तकनीक का विवेकपूर्ण उपयोग एवं पर्यावरणपूरक विकास सहित आधुनिकीकरण की भारतीय संकल्पना के आधार पर नए प्रतिमान खड़े करने जैसी चुनौतियों से पार पाना होगा। राष्ट्र के नवोत्थान के लिए हमें परिवार संस्था का दृढ़ीकरण, बंधुता पर आधारित समरस समाज का निर्माण तथा स्वदेशी भाव के साथ उद्यमिता का विकास आदि उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विशेष प्रयास करने होंगे।