अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस: देश के विकास और उन्नति में महिलाओं की भागीदारी को सलाम

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08/03/2022

महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों एवं कठिनाइयों की सापेक्षता के उपलक्ष्य में उत्सव

28  फ़रवरी 1909 को मनाया गया पहला महिला दिवस

महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम को करता हैं प्रकट

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस:-

हर वर्ष, 8 मार्च को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम प्रकट करते हुए, महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों एवं कठिनाइयों की सापेक्षता के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा चयनित राजनीतिक और मानव अधिकार विषयवस्तु के साथ महिलाओं के राजनीतिक एवं सामाजिक उत्थान के लिए मनाया जाता हैं। कुछ लोग बैंगनी रंग के रिबन पहनकर इस दिन का जश्न मनाते हैं। सबसे पहला दिवस, न्यूयॉर्क शहर में 1909 में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था। 1917 में सोवियत संघ ने इस दिन को एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया, और यह आसपास के अन्य देशों में फैल गया। इसे अब कई पूर्वी देशों में भी मनाया जाता है।

इतिहास

अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आहवान पर, महिला दिवस सबसे पहले 28  फ़रवरी 1909 को मनाया गया। इसके बाद यह फरवरी के आखिरी इतवार के दिन मनाया जाने लगा। 1990 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया। उस समय इसका प्रमुख ध्येय महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलवाना था, क्योंकि उस समय अधिकतर देशों में महिला को वोट देने का अधिकार नहीं था।

ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार के अनुसार मनाया जाता हैं यह दिन

1 9 1 7 में रूस की महिलाओं ने, महिला दिवस पर रोटी और कपड़े के लिये हड़ताल पर जाने का फैसला किया। यह हड़ताल भी ऐतिहासिक थी। ज़ार ने सत्ता छोड़ी, अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया। उस समय रूस में जुलियन कैलेंडर चलता था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर। इन दोनों की तारीखों में कुछ अन्तर है। जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखिरी इतवार 23 फ़रवरी को था जब की ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी। इस समय पूरी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलैंडर चलता है। इसी लिये 8 मार्च महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

जर्मन एक्टिविस्ट क्लारा ज़ेटकिन के प्रयासों के बदौलत बना अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

प्रसिद्ध जर्मन एक्टिविस्ट क्लारा ज़ेटकिन के जोरदार प्रयासों के बदौलत इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस ने साल 1910 में महिला दिवस के अंतर्राष्ट्रीय स्‍वरूप और इस दिन पब्लिक हॉलीडे को सहमति दी। इसके फलस्‍वरूप 19 मार्च, 1911 को पहला आई.डवल्लू .डी. ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और जर्मनी में आयोजित किया गया। हालांकि महिला दिवस की तारीख को साल 1921 में बदलकर 8 मार्च कर दिया गया। तब से महिला दिवस पूरी दुनिया में 8 मार्च को ही मनाया जाता है।

महिला राजनेता जो इन दिनों संभाल रहीं पार्टी और देश की जिम्मेदारी

निर्मला सीतारमण

फोर्ब्स 2021 की सूची में दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में भारत की कई महिलाओं के नाम शामिल हैं। इनमें पहली और सबसे सशक्त भारतीय महिला हैं निर्मला सीतारमण। भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भारत में ही नहीं विदेशों तक प्रसिद्ध है। देश की पहली पूर्णकालिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार देश की वित्त मामलों को संभाल रही हैं। इसके पहले सीतारमण ने देश के रक्षा मंत्री पद का कार्यभार भी संभाला था।

ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूरे राज्य की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। एक महिला राजनेता के तौर पर यह बड़ी उपलब्धि है कि ममता बनर्जी लगातार तीन बार से किसी राज्य की मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यरत हैं। ममता बनर्जी को महिला सशक्तिकरण का सबसे जबरदस्त उदाहरण माना जा सकता है। वह टीएमसी की लीडर भी हैं और प्रदेश की मुखिया भी। ममता बनर्जी केंद्र में लगातार दो बार रेल मंत्री भी रह चुकी हैं।

आनंदीबेन पटेल

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल इसके पहले गुजरात की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। कल्याण सिंह के अस्वस्थ होने पर आनंदी बेन पटेल ने दो राज्यों के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी भी संभाली थी। वह तब यूपी के साथ ही मध्य प्रदेश की राज्यपाल भी रहीं। उनके तेजतर्रार, सख्त और कुशल प्रशासन के कारण आनंदीबेन पटेल को आयरन लेडी भी कहा जाता है। राजनीति में आने से पहले वह एक अच्छी शिक्षक भी रह चुकी हैं। उन्हें राष्ट्रपति ने सम्मानित भी किया था।

मायावती

उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम मायावती का है। कई बड़े राजनीतिक दलों का नाम आते ही कई दिग्गज नेताओ के नाम याद आते हैं लेकिन बहुजन समाज पार्टी के साथ सबसे पहला और इकलौता नाम एक महिला का आता है, वह है मायावती। वह पार्टी की प्रमुख भी हैं, खुद में एक ब्रांड भी। भारतीय राजनीति में किसी महिला के लिए यह ओहदा पाना आसान बात नहीं है। लंबे समय से राजनीति में रहने के बाद मायावती की पहचान ‘बहन जी’ के तौर पर बन गई है। बसपा सुप्रीमो होने के साथ ही मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं।

प्रियंका गांधी

इन दिनों यूपी की सियासत में एक महिला का नाम और उनकी सक्रियता बढ़ती जा रही है। यह महिला हैं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी। व्यक्तिगत जिंदगी छोड़ सार्वजनिक जीवन में उतरी प्रियंका गांधी में इंदिरा गांधी की झलक मिलती है। भले ही प्रियंका गांधी की अब तक कोई राजनीतिक उपलब्धि या जीत न हुई हो लेकिन उनका नाम दिग्गज महिला राजनेताओं में शामिल हो चुका है। लोग कांग्रेस से प्रभावित हों या न हो लेकिन प्रियंका गांधी से जरूर प्रभावित होते हैं। वह राजनीति में देश की बेटी बनकर उभरीं। प्रियंका ने यूपी चुनावों में अपना दमखम दिखाया।

भारतीय महिलाओं ने बढ़ाया देश की सेना का मान

पुनीता अरोड़ा- पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल

आज भले ही भारतीय सेना में कई महिला अधिकारी हों लेकिन भारतीय नौसेना की पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल पुनीता अरोड़ा थीं। उनका जन्म 13 अक्तूबर 1932 को पाकिस्तान के लाहौर प्रांत में हुआ था। साल 2004 में भारतीय नौसेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला होने की उपलब्धि पुनीता अरोड़ा की थी। उन्होंने 36 साल नौसेना में सेवा दी और इस दौरान कुल 15 पदक प्राप्त किए।

किरण शेखावत -पहली महिला शहीद

भारतीय सेना की महिलाओं का जिक्र होगा तो 1 मई 1988 को राजस्थान के सेफरागुवार में जन्मी किरण शेखावत का नाम जरूर लिया जाता रहेगा। शादी के बाद हरियाणा की बहू लेफ्टिनेंट किरण शेखावत देश के लिए ऑन ड्यूटी शहीद होने वाली पहली महिला अधिकारी थीं। गोवा में साल 2015 को 24 मार्च की रात डॉर्नियर निगरानी विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में लेफ्टिनेंट किरण शेखावत शहीद हो गई थीं। उनकी साल 2010 में भारतीय नौसेना में भर्ती हुई थी और सेना में पांच साल की सेवा के बाद वह शहीद हो गईं।

पद्मावती बंदोपाध्याय- पहली महिला एयर मार्शल

भारतीय वायुसेना की पहली महिला एयर मार्शल होने का गौरव पद्मावती बंधोपाध्याय को मिला। पद्मावती 1968 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुईं। 34 साल कार्यरत रहने के बाद उन्हें साल 2002 में एयर वाइस मार्शल के पद पर तैनाती हुई।

दिव्या अजित कुमार- स्वॉर्ड ऑफ ऑनर प्राप्त पहली महिला कैडेट

मात्र 21 साल की उम्र में सेना की स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल करने वाली पहली महिला कैडेट का नाम दिव्या अजित कुमार है। कप्तान दिव्या अजित कुमार को सितंबर 2010 में सेना के वायु रक्षा कोर में नियुक्त किया गया था।

गुंजन सक्सेना- कारगिल गर्ल

कारगिल गर्ल के नाम से मशहूर फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे। गुंजन सक्सेना पहली महिला पायलट थीं, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान लड़ाई में भारत की तरफ से पाकिस्तान को टक्कर दी थी। उन्हें शौर्य वीर अवॉर्ड भी दिया गया था।

 

महिला खिलाड़ियों ने बढ़ाया देश का मान, सिंधु से लेकर चानू तक हैं टॉप एथलीट

पीवी सिंधु

सिंधु को 2021 स्विस ओपेन के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन टोक्यो ओलंपिक में उन्हें एंबेसडर चुना गया। किसी भारतीय खिलाड़ी को यह जिम्मेदारी मिलना बड़ी बात थी। इस ओलंपिक में उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया। वे दूसरी महिला खिलाड़ी बनीं, जिन्होंने दूसरी बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में जगह बनाई। सिंधु 2021 बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में भी पहुंचीं और ऐसा करने वाली सिर्फ दूसरी महिला खिलाड़ी बनीं। इसके बाद सैयद मोदी इंटरनेशनल में भी उन्होंने जीत हासिल की।

मीराबाई चानू

2020 टोक्यो ओलंपिक में देश को पहला पदक दिलाने वाली मीराबाई चानू ने पिछले एक साल में कई बार देश सिर गर्व से ऊंचा कर चुकी हैं। उन्होंने अप्रैल 2021 में एशियन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया। इस दौरान उन्होंने 119 किलोग्राम वजन उठाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था। जून 2021 में वो पहली भारतीय महिला वेटलिफ्टर बनीं, जिन्होंने 2020 ओलंपिक में जगह बनाई। टोक्यो ओलंपिक में भी उन्होंने रजत पदक जीतकर भारत के लिए शानदार शुरुआत की थी।

लवलीना बोरगोहेन

भारत की महिला हॉकी टीम की कप्तान सविता पुनिया भी कई मौकों पर देश का मान बढ़ा चुकी हैं। हाल ही में स्पेन के खिलाफ दो मैचों की सीरीज के लिए उन्हें भारतीय टीम की कप्तान बनाया गया था और आने वाले समय में भी उन्हें यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। सविता की टीम ने टोक्यो ओलंपिक में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था, लेकिन पदक नहीं जीत पाई थी। हालांकि, महिला टीम ने अपने प्रदर्शन से देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया था। इसमें सविता का योगदान बहुत अहम था।

 

 

 

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