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The news warrior
29 अप्रैल 2023
सोलन : अन्नपूर्णा चोटी फतेह करने के बाद हिमाचल की बेटी बलजीत कौर शनिवार को अपने गृह जिला सोलन पहुँच गई है । उनके सोलन पहुँचने पर जोरदार स्वागत किया गया और सम्मानित किया गया । गौतरलब है कि बलजीत कौर ने दुनिया की दसवीं सबसे ऊंची चोटी अन्नापूर्णा को बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के फतह किया । बलजीत कौर ने विश्व की कई चोटियों को फतेह करने में सफलता हासिल की है ।
शुरुवात से ही सफर हो गया था मुश्किल भरा
सोलन पहुँचने पर प्रेस वार्ता के दौरान बलजीत कौर ने अपने अन्नपूर्णा चोटी को फतेह करने से लेकर रेस्क्यू करने तक के पूरे सफर को बताया । उन्होंने बताया कि वह 48 घंटे तक बिना कुछ खाए, पिए व सोये थी । उन्होंने बताया कि उनका शुरुआत का सफर ही काफी मुश्किल भरा हो गया था क्योंकि उन्होंने जिस एजेंसी को वो बुक करवाया था और जो शेरपा उनके साथ जाने वाले थे उन्होंने जाने के लिए मना कर दिया था उन्हें किसी दूसरे ने अच्छा मनी ऑफर कर दिया था । वहीं उनके साथ जो 2 शेरपा गए थे पहले से ही थके हुए थे और वह ज़्यादा अनुभवी नहीं थे। वहीं बलजीत कौर के मन में इस अभियान को अगले साल के लिए रद्द करने के लिए ख्याल आया था । लेकिन उनके शेरपा ने उनको यह न करने की सलाह दी । इसके बाद उन्होंने अपना अभियान शुरू किया और अन्नपूर्णा चोटी को बिना ऑक्सीजन के फतह किया ।
लड़ाई कर दोनों शेरपा चले गए छोड़ कर
बलजीत ने बताया कि जब वह चोटी से वापिस अपने बेस कैंप की ओर लौट रहे थे तो उन्हें भ्रम होने शुरू ही गए वह ऐसी चीजें इमेजिन कर रही थी, जो सच नहीं थी । उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे उनके आसपास बहुत से लोग हैं उनकी मदद कर रहे हैं । जब बलजीत की ज्यादा हालत खराब हो रही थी, तब भी बलजीत को लगा कि वहां पर कुछ लोग उन्हें टेंट में मदद दे रहे हैं । तभी उनके दोनों शेरपा भी भ्रम का शिकार हो गए थे और लड़ाई कर रहे थे और वह उन्हें छोड़कर चले गए । बलजीत बताया उन्हें पंजाबी गाने और बोलियां सुनाई दे रही थी ।
इस तरह से मांगी मदद
बलजीत को शुरुआत में रेस्क्यू का ध्यान ही नहीं आया था, लेकिन जब बलजीत ने देखा कि आज आखिरी दिन है और बहुत सारे हेलीकॉप्टर्स जा रहे हैं और उनके साथ जो लोग थे वो लोग वापस जा रहे हैं, तब उन्होंने सोचा कि अब उसको मदद की ज़रूरत है और उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था । उन्होंने अपना फोन गुरबाणी सुनने के लिए निकाला तो उन्हें अपने फोन में सेटलाइट से मैसेज भेजने वाली एक ऐप दिखी जिसके चलते उन्होंने मदद के लिए बोला और मदद मांगने के पाँच घंटे के बाद उन्हें रेस्क्यू कर लिया गया ।
बलजीत को सैफ्टी अंकल छोड़ कर कूद जाने की भी सुनी आवाजें
उन्होंने बताया कि उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें कोई ऐसा बोल रहा था कि बलजीत सेफ्टी अंकल छोड़ और यहां से कूद जा, लेकिन उसी पल उन्हें अपने उस्ताद की आवाज सुनाई दी और उन्होंने उनसे पंजाबी में कहा कि ऐसा मत कर । बलजीत ने कहा कि रेस्क्यू टीम उन्हें जीवित खोज निकालने में कामयाब रही । फिर मुझे काठमांडू के अस्पताल में भर्ती किया गया जहां पर उनका इलाज 5 दिन तक चला ।
बहुत सी चोटियों को फतह करने में सफलता की है हासिल
बलजीत कौर हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले की कंडाघाट के गांव पंजरोल की रहने वाली हैं । उनके पिता अमरीक सिंह हिमाचल पथ परिवहन में बस ड्राइवर हैं और उनकी मां शांति देवी गृहिणी हैं । बलजीत के कुल तीन भाई बहन हैं । बलजीत कौर ने एनसीसी में शामिल होने के बाद पहाड़ों की चढ़ाई शुरू की थी । 20 साल की उम्र में उन्हें माउंट देव टिब्बा के एनसीसी अभियान के लिए चुना गया था । बलजीत कौर केवल 27 साल में 8,000 मीटर की ऊंचाई पर चढ़ने वाली पहली महिला पर्वतारोही हैं । उन्होंने इतने कम समय में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराकर यह रिकार्ड अपने नाम किया है ।