Petrol-Desal Price: पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर राहत की उम्मीद, सरकार ने बनाई बड़ी योजना

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07/04/2022

17 दिनों में 14 बार किया जा चुका है कीमतों में इजाफा

पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने तैयार की बड़ी योजना

सरकार ने तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल के वैट में कटौती के दिए दिशा-निर्देश

नई दिल्ली:-

महंगाई की मार झेल रही देश की जनता पर हर रोज बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल के दामों ने और भी बोझ डाल दिया है। हालात ये हैं कि 17 दिनों में 14 बार इनकी कीमतों में इजाफा किया जा चुका है। हालांकि, अब एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आम जनता को पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी योजना तैयार की है। इसमें कहा गया है कि आने वाले कुछ दिनों तक इनकी कीमतें स्थिर बनी रह सकती है।

तेल कंपनियों को वैट में कटौती के दिए दिशा-निर्देश

रिपोर्ट में सूत्रों ने कहा है कि सरकार ने तेल की बढ़ती कीमतों के बीच आम जनता को राहत देने के लिए जो योजना तैयार की है, उसके तहत पेट्रोल डीजल के दामों में फिर से स्थिरता बनी रह सकती है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार की ओर से देश की प्रमुख तेल विपणन कंपनियों को इस तरह के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसके अलावा ऐसी भी संभावना है कि अगर कच्चे तेल की कीमतों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमी नहीं आती और दाम इसी तरह बढ़ते रहते हैं तो फिर सरकार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में भी कटौती का कदम उठा सकती है। ताकि आम जनता के बोझ को कम किया जा सके। रिपोर्ट की मानें तो सरकार ने राज्यों को भी कहा है कि वे पेट्रोल-डीजल पर वसूले जाने वाले वैट में कटौती करें।

पेट्रोल और डीजल 15 से 22 रुपये हो सकता है महंगा 

बीते दिनों आई रिपोर्टों की बात करें तो कई में इस बात का अनुमान लगाया गया था कि तेल कंपनियां अपने घाटे की भरपाई करने के लिए एकदम पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी करने के बजाय धीमे-धीम दाम बढ़ाएंगी। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया था कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में आने वाले दिनों में क्रमश: 15 से 22 रुपये तक की बढ़ोतरी की जा सकती है। इस बीच आपको बता दें कि जिस हिसाब से देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में तेजी आ रही है उसे देखते हुए महंगाई के खतरे का हवाला देते हुए कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत का जीडीपी ग्रोथ अनुमान भी घटा दिया है।

भारतीय तेल कंपनियों को भारी नुकसान

पूर्व रिपोर्टों में बताया गया था कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमतों में आया उछाल भारतीय तेल कंपनियों के लिए बेहद नुकसानदायक रहा है। मुडीज इन्वेस्टर्स की इस नई रिपोर्ट में कहा गया था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम में इजाफे के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतों को स्थिर रखना तेल कंपनियों पर भारी पड़ा है। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि इससे सिर्फ मार्च महीने में ही तेल कंपनियों को 19000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

ऐसे तय की जाती हैं कीमतें 

बता दें कि प्रतिदिन सुबह छह बजे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। सुबह छह बजे से ही नई दरें लागू हो जाती हैं। पेट्रोल व डीजल के दाम में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और अन्य चीजें जोड़ने के बाद इसका दाम लगभग दोगुना हो जाता है। इन्हीं मानकों के आधार पर पर पेट्रोल रेट और डीजल रेट रोज तय करने का काम तेल कंपनियां करती हैं। डीलर पेट्रोल पंप चलाने वाले लोग हैं। वे खुद को खुदरा कीमतों पर उपभोक्ताओं के अंत में करों और अपने स्वयं के मार्जिन जोड़ने के बाद पेट्रोल बेचते हैं। पेट्रोल रेट और डीजल रेट में यह कॉस्ट भी जुड़ती है।

 

 

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