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21/04/2022
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रात करीब 9 बज कर 15 मिनट पर नई दिल्ली के लाल किले में गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व के समारोह में होंगे शामिल
प्रधानमंत्री, समारोह में जनसमूह को करेंगे संबोधित
समारोह में प्रधानमंत्री एक स्मारक सिक्का तथा डाक टिकट भी करेंगे जारी
नई दिल्ली:-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार यानी आज रात करीब 9 बज कर 15 मिनट पर नई के लाल किले में गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व के समारोह में शामिल होंगे। इस अवसर पर, प्रधानमंत्री उपस्थित जनसमूह को संबोधित करेंगे और एक स्मारक सिक्का तथा डाक टिकट भी जारी करेंगे।
दो-दिवसीय कार्यक्रम
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा जारी प्रे विज्ञप्ति के अनुसार, कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सहयोग से किया जा रहा है। इस दो-दिवसीय (20 और 21 अप्रैल) कार्यक्रम के दौरान, देश के विभिन्न हिस्सों रागी और बच्चे ‘शब्द कीर्तन’ में भाग लेंगे। यहां गुरु तेग बहादुर के जीवन को दर्शाने के लिये एक भव्य लाइट एंड साउंड शो भी होगा।
सिखों की पारंपरिक मार्शल आर्ट ‘गतका’ का आयोजन
इसके अलावा सिखों की पारंपरिक मार्शल आर्ट ‘गतका’ का भी आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर के उपदेशों को रेखांकित करने पर केंद्रित है। विज्ञप्ति में सरकार की ओर से कहा गया कि गुरु तेग बहादुर ने विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। उन्हें मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर कश्मीरी पंडितों की धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करने के लिए मार डाला गया था।
गुरु तेग बहादुर की पुण्यतिथि हर साल 24 नवंबर को शहीदी दिवस के रूप में मनाई जाती है। सरकार ने कहा कि दिल्ली में गुरुद्वारा सीस गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज उनके पवित्र बलिदान से जुड़े हैं। उनकी विरासत इस राष्ट्र के लिए एकजुटता की एक महान शक्ति के रूप में कार्य करती है।
तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह का सर्वोच्च बलिदान-केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को सिख गुरु तेग बहादुर को नमन करते हुए कहा कि उनके और गुरु गोविंद सिंह के सर्वोच्च बलिदान ने भारत की स्वतंत्रता के बीज बोए थे। उन्होंने गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा यह बात कही।
उन्होंने लाल किले में आयोजित समारोह में कहा कि सिख गुरु ने मुगल शासकों द्वारा प्रताड़ित कश्मीरी पंडितों और अन्य हिंदुओं की सुरक्षा के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया था।
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