सोहणी देवी माता करती है मनोकामना पूरी, जाने 900 साल पुराना मंदिर का इतिहास
बिलासपुर – हिमाचल प्रदेश को देवभूमि भी कहा जाता है क्योंकि यहां प्रत्येक स्थान पर देवी-देवताओं का निवास है| सोहणी देवी मंदिर बिलासपुर जिले के घुमारवीं तहसील गाँव कोटला में कोलाहल व शोर से कोसो दूर चीड के वृक्षों के झुरमुटों में मंद -मंद बहती समीर के प्रवाह के बीच सोहणी देवी माता का भव्य व विशाल मंदिर है|
इतिहास : इस मन्दिर का निर्माण लगभग 900 वर्ष पूर्व चकमोह से आकर यहां बसे दो ब्राह्मण भाइयों द्वारा देवी के निर्देश पर किए जाने की लोक आस्था है| मंदिर के निर्माण में पुजारी व इलाकावासी बताते हैं कि करीब 900 वर्ष पूर्व यहां खेत में हल जोतते हुए दो भाइयों को मां सोहणी देवी की पाषाणकालीन मूर्ति मिली। रात को स्वप्न में माता के निर्देशानुसार मूर्ति को प्रतिष्ठित करने के लिए कहा गया । लेकिन जैसे ही उन्होंने मूर्ति को कोटला गाँव की और उठाने का प्रयास किया मूर्ति इतनी भारी हो गई की उसे उठाना तो दूर की बात उसे हिलाना भी नामुमकिन था ।
इस घटना से भयभीत होकर नंगे पांव दोनों भाई सारी सोहणी धार में मूर्ति की प्रतिष्ठा हेतु उचित स्थान की खोज में जुट गए। उन्होंने मूर्ति की प्रतिष्ठा तथा मंदिर निर्माण के लिए सोहणी धार की चोटी पर स्थित वर्तमान मंदिर के प्रांगण का चुनाव किया और पुनः मूर्ति को उठाने का प्रयास किया तो मूर्ति एकदम हल्की हो गई और दोनों भाइयों ने माता के जयकारे लगाते हुए आसानी से उस पाषाणकालीन मूर्ति को धार की चोटी पर प्रतिष्ठित करके मंदिर निर्माण की नींव रखी |
क्षेत्रवासियों के सहयोग से वर्ष 1980 में पुराने मंदिर को जीर्णोद्धार करके यहा नया मंदिर बनाया गया । सोहणी देवी हजारों क्षेत्रवासियों की कुलदेवी के रूप में प्रसिद्ध है| इसी कारण यहां माता के भगतो का तांता लगा रहता है |यहाँ अक्सर नवरात्र और विशेष पर्वों पर भागवत, रात्रि जागरण व जात्रा का आयोजन होता रहता है |यहां सायर को तीन दिवसीय मेले का आयोजन होता है| |यह मंदिर घुमारवीं से 10 किलोमीटर की दूरी पर डून रोड पर जंगल के बीच पहाड़ी पर स्थित है |.