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30 मार्च 2023
शिमला : हिमाचल प्रदेश छात्र अभिभावक मंच ने शिमला शहर के निजी स्कूलों द्वारा पिकनिक व टुअर के नाम पर छात्रों व अभिभावकों की हज़ारों रुपये की ठगी व मानसिक शोषण पर कड़ा रोष व्यक्त किया है । मंच ने सरकार व शिक्षा विभाग की निजी स्कूलों से मिलीभगत करार दिया है। मंच ने सरकार से निजी स्कूलों में पिकनिक व टुअर की अनिवार्यता के नाम पर किए जा रहे छात्रों व अभिभावकों के शोषण पर तुरन्त रोक लगाने की मांग की है ।
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2018 – 19 में बने नियमों का हो रहा उल्लंघन
उन्होंने मांग की है कि सरकार के वर्ष 2018 -19 के आदेशों के विरुद्ध अनुचित शैक्षणिक व्यवहार को अमल में लाने वाले निजी स्कूल प्रबंधनों पर कठोर कार्रवाई की जाए । मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा व सह संयोजक विवेक कश्यप ने कहा है कि निजी स्कूल प्रबंधन छात्रों व अभिभावकों का मानसिक व आर्थिक शोषण कर रहे हैं। निजी स्कूल 2018 – 19 में बने नियमों का कड़ा उल्लंघन कर रहे हैं । इन आदेशों में स्पष्ट था कि पिकनिक व टुअर की अनिवार्यता नियमों के विरुद्ध है तथा छात्रों व अभिभावकों को उक्त टूअर व पिकनिक के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
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निजी स्कूलों ने छात्रों को पिकनिक में न जाने का नहीं दिया है ऑप्शन
2023 के वर्तमान सत्र में शिमला शहर के कुछ निजी स्कूलों ने पिकनिक व टुअर के संदर्भ में जो सर्कुलर जारी किया है, उसमें अभिभावकों व छात्रों को पिकनिक व टुअर में न जाने की कोई ऑप्शन नहीं दी गयी है। सर्कुलर व एनओसी सर्टिफिकेट इस तरह से बनाया गया है कि न चाहते हुए भी छात्रों व अभिभावकों को वह फॉर्म भरना पड़ेगा व उनकी मर्जी के बगैर भी एनओसी देना पड़ेगा। इस तरह अपनी सहमति व्यक्त करने के सिवाए उनके पास कोई चारा नहीं है। यह पूरी तरह से एसडीएम शिमला शहरी द्वारा वर्ष 2018 – 19 में दिए गए आदेशों का उल्लंघन है।
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निजी स्कूलों के इस रवैये पर की जाए कार्रवाही
मंच का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 39 (एफ) के तहत छात्रों को प्राप्त उनके नैतिक व भौतिक अधिकारों का भी हनन है। सभी जानते हैं निजी स्कूल एनुअल फंक्शन, पिकनिक व टुअर के जरिए छात्रों व अभिभावकों की खुली लूट करते रहे हैं। मंच ने सरकार व शिक्षा विभाग को चेतावनी दी है कि अगर प्रारंभिक शिक्षा व उच्चतर शिक्षा निदेशक ने निजी स्कूलों के इस रवैये पर ठोस कार्रवाई न की तो मंच शिक्षा निदेशालय का घेराव करने से नहीं चूकेगा। उन्होंने प्रदेश सरकार से इस सन्दर्भ में तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है ताकि छात्रों व अभिभावकों के मानसिक व आर्थिक शोषण पर लगाम लगाई जा सके।