अटल टनल बनने से जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के पर्यटन को लगे पंख।
20 सितंबर 2021
अटल टनल रोहतांग के बनने से हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिले लाहुल स्पीति यानी शीत मरुस्थल में पर्यटन को पंख लग गए हैं। पर्यटन नगरी मनाली को देख लाहुल-स्पीति के लोग कभी जो सपना देखते थे, वह अब साकार हो गया है। करीब एक साल में अटल टनल ने लाहुलियों की तकदीर बदल दी है। आजीविका के लिए खेतीबाड़ी पर निर्भर लाहुलियों ने अब पर्यटन की ओर रुख कर लिया है। लाहुल-स्पीति में मनाली की तरह होटल व रेस्टोरेंट की भरमार नहीं है। यहां की मनमोहक वादियों ने पर्यटकों को आकर्षित किया तो लाहुलियों ने अतिथि सत्कार के लिए टेंट लगाकर कैंपिंग साइट में होटल व रेस्टोरेंट जैसी व्यवस्था कर डाली।
पर्यटकों को लुभा रहा टेंट में रात गुजारना
खुले आसमान के नीचे टेंट में रात गुजारना पर्यटकों को खूब लुभा रहा है। सालभर पहले तक रोहतांग दर्रा होकर लाहुल पहुंचना पर्यटकों के लिए पहाड़ जैसी चुनौती हुआ करती थी। अटल टनल रोहतांग शुरू होने के बाद यहां पर्यटन के द्वार खुल गए। खेतीबाड़ी के बजाय लाहुली अब पर्यटन को ज्यादा तरजीह देने लगे हैं। कोकसर, सरचू, सिस्सू, गेमूर व जिस्पा समेत कई क्षेत्रों में खेतों में आलू व गोभी के बजाय टेंट ज्यादा नजर आ रहे हैं।
रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक महत्व की सुरंग बनाए जाने का फैसला 03 जून 2000 को लिया गया था।यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान तय हुआ था।
अटल सुरंग के दक्षिणी भाग को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी।अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2003 में रोहतांग टनल का शिलान्यास किया था।
अटल सुरंग के दोनों छोर पर सड़क निर्माण 15 अक्टूबर 2017 को पूरा हुआ था। हिमाचल प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक में 20 अगस्त 2018 को रोहतांग टनल का नाम पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर रखने का प्रस्ताव किया गया था।बाद में इसे केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए भेजा गया था।