भारत में ईसाई धर्मांतरण अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र,भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा

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22 /02 /2022

ईसाई धर्मांतरण का भारत पर आक्रमण ब्रिटिश शासन काल में 

ईसाई मिशनरी भारत की एकता और अखंडता को पहुंचा रहे हैं घोर नुकसान 

एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र

 

तमिलनाडु:-

ईसाई धर्मांतरण का भारत पर आक्रमण तो ब्रिटिश शासन के आने से पूर्व ही हो गया था। ब्रिटिश शासन में यह खूब फले फुले और स्वतंत्र भारत में भी जमकर धर्मांतरण में ईसाई मिशनरी लगे हुए हैं। विदेशी धन, बहुराष्ट्रीय कंपनियों का परोक्ष सहयोग और मीडिया में धनबल से अपनी पकड़ के द्वारा ईसाई मिशनरी भारत की एकता और अखंडता को घोर नुकसान पहुंचा रहे हैं। हाल ही में तमिलनाडु के तंजावुर जिले में ईसाई मिशनरी स्कूल के हॉस्टल में 17 वर्षीय हिंदू छात्रा लावण्या की आत्महत्या के मामले ने राष्ट्र की सामाजिक व्यवस्था को पुनः झकझोर कर रख दिया है। किस तरह से एक मासूम छात्रा के साथ स्कूल की प्रसाशन   द्वारा क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया गया, उसके साथ मारपीट की गई मजबूर लावण्या को इस संसार से जबरन अपने जीवन को समाप्त करने जैसा दुखद निर्णय लेना पड़ा।

एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र

आज ईसाई मिशनरियों द्वारा देशभर में जबरन धर्मांतरण की घटनाएं देखने को मिल रही है । यह अत्यंत वेदनापूर्ण है कि ईसाई मिशनरी हिंदू धर्म को लांछित कर, भोले-भाले लोगों को छल से जाल में फंसा कर, दबाव देकर, भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल कर आदि विधियों से ईसाइयत में धर्मांतरित कर रहे हैं। इसलिए यह कोई साधारण विषय है यह कहना उचित नहीं है क्योंकि इसे एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र की तरह देखने व इस पर गहन चिंतन की आवश्यकता है। अमेरिकी सरकार तथा अनेक विदेशी चर्च संगठनों द्वारा भारी अनुदान, अनेक मिशनरी संगठनों के प्रतिनिधियों से बातचीत उनके दस्तावेज, मिशनरियों द्वारा भारत के चप्पे-चप्पे का सर्वेक्षण और स्थानीय विशेषताओं का उपयोग कर लोगों के धर्मांतरण करने के कार्यक्रम आदि संबंधी प्रमाण हमारे सामने समय समय पर आए हैं जिन्हें सीधे तौर पर इसे एक अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र के रूप में देखा जाए तो इसमें कुछ गलत नहीं है। हम कह सकते हैं कि मिशनरी गतिविधियां किसी राज्य या देश की सीमाओं में स्वायत्त नहीं है, उनका चरित्र, संगठन और नियंत्रण अंतरराष्ट्रीय है।

धर्मांतरण भारत में अपने पैर पसार रहा है  

आज धर्मांतरण भारत में अपने पैर पसार चुका है और आए दिन भारत के अनेक राज्यों से धर्मांतरण के समाचार सुनने को मिल रहे हैं, जिसमें विभिन्न माध्यमों से ईसाई मिशनरी तेज गति से धर्मांतरण के काले कारोबार में लगे हुए हैं। ईसाई मिशनरियों ने स्कूलों के माध्यम से धर्मांतरण करने का ध्येय भी लिया है जिसके उदाहरण हमें लावण्या आत्महत्या मामले से स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं। आज हर तरफ जबरन व अवैध तरीकों से धर्मांतरण किया जा रहा है। सुदूर क्षेत्रों में जहां यातायात ना होने के कारण शासन या प्रेस का ध्यान नहीं वहां गरीब लोगों को नगद धन देने, स्कूल और अस्पताल की बेहतर सुविधाएं देने के प्रलोभन, नौकरी देने, पैसे उधार देकर दबाव डालने, नवजात शिशुओं का आशीर्वाद देने के बहाने जबरन बप्तिस्मा करने, आपसी झगड़ों में किसी को मदद कर बाद में दवाब डालने, छोटे बच्चों और स्त्रियों का अपहरण करने जैसे अनेक तरीकों से धर्मांतरण किया जा रहा है जिसके प्रत्यक्ष प्रमाण अनेक बार हमारे सामने आए हैं। इस प्रकार के अनेक धर्मांतरण तरीकों के व्यापक उद्देश्य हैं जो अत्यंत गंभीर और चिंताजनक हैं।

गंभीर और चिंताजनक विषय

लूथरन और कैथोलिक मिशनों द्वारा नीतिगत रूप से धर्मांतरण ईसाइयों में अलगाववादी भाव भरे जाते हैं। उन  धर्मांतरित ईसाइयों को सिखाया जाता है कि धर्म बदलने के उपरांत उनके राष्ट्रीयता भी वही नहीं रहती जो पहले थी। अतः उन्हें स्वतंत्र ईसाई राज्य का प्रयास करना चाहिए। इन सभी बातों से यह समझना चाहिए कि यह कितना संवेदनशील विषय है और इसका कड़ा संज्ञान लेने लेना समय की जरूरत भी है। कुछ महीनों पहले उत्तर प्रदेश में लगभग 1000 लोगों के धर्मांतरण का मामला सामने आया था। खबरों व अनेक प्रकार के साक्ष्यों के अनुसार इन लोगों में मूक-बधिर बच्चों से लेकर युवा व महिलाएं भी शामिल हैं। मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि धर्मांतरित लोगों में अधिकतर पढ़े लिखे युवा थे और यह सब उस प्रदेश में हुआ जहांव्

धर्मांतरण की समस्या केवल एक प्रदेश तक सीमित नहीं

धर्मांतरण के खिलाफ 2020 में एक सख्त कानून लागू कर दिया गया था। तो क्या कारण है कि उसके बावजूद भी धर्मांतरण जैसा कृत्य प्रदेश में अपनी जड़ें और मजबूत कर रहा है? हमारे देश में धर्मांतरण की समस्या केवल एक प्रदेश तक सीमित नहीं है।  झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, पंजाब, हिमाचल प्रदेश जैसे कई राज्यों में धर्मांतरण के मामले आए दिन आना अब साधारण बात हो गई है। किंतु तमिलनाडु के  लावण्या आत्महत्या घटनाक्रम से इस विषय की संवेदनशीलता इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि शिक्षा के मंदिर जहां पर शिक्षा का प्रचार व नैतिक मूल्यों की परिपाटी लिखी जाती है वहां पर जबरन धर्मांतरण से आत्महत्या का एक काला सच समाज के सामने आया है जिसने हर वर्ग के व्यक्ति को झकझोर कर रख दिया है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का देशव्यापी आंदोलन

तमिलनाडु की वर्तमान सरकार इस मामले को दबाने का भरसक प्रयास करते हुए नजर आ रही है साथ ही अनेक प्रकार की झूठी कहानियां गढ़ कर मिशनरियों को संरक्षण देने का प्रयास किया जा रहा है। अनेक सामाजिक संगठन, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जैसा विद्यार्थी संगठन तमिलनाडु सरकार के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन कर रहा है। पूरे मामले को तमिलनाडु सरकार तोड़ मरोड़ कर पेश करने का प्रयास कर रही है और वहां पर आंदोलन कर रहे छात्रों को जबरन जेलों में डालकर, उन पर झूठे मुकदमे दायर कर दमनकारी नीतियों को अपना नहीं है जो कि भारत जैसे लोकतांत्रिक राष्ट्र में लोकतांत्रिक एवं मानवाधिकारों की हत्या का पर्याय बन कर सामने आ रहा है। भारत में ईसाई मिशनरी हर परिस्थिति में धर्म परिवर्तन का काला कारोबार चला रहे हैं । इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि कोरोना के भयावह खतरे के बीच जहां दुनिया भर में लोग अपने और अपनों की जान बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं वहीं ईसाई मिशनरी इस आपदा काल को अवसर में लगाने में जुटे हैं। पिछले वर्ष कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक दर्जनों ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जहां ईसाई मिशनरियों का घिनौना चेहरा उजागर हुआ है। विपदा में भी उनका पहला एजेंडा धर्म परिवर्तन ही बना हुआ है।

आपदा के इस दौर में मिशनरी एजेंट

इसाई मिशनरियों ने इस मुसीबत के समय में भी धर्म परिवर्तन के रास्ते खोज निकाले हैं। विदेशी सहायता के परिणामस्वरुप निरंतर सफलतापूर्वक हिंदुओं का धर्मपरिवर्तन जारी है। आपदा के इस दौर में मिशनरी एजेंट हर उस जगह मौजूद है जहां सूर्य की रोशनी पहुंचती है। तमाम ऐसी घटनाएं सामने आई है, जिनसे उनके शहर, गांव, जंगल, पहाड़, अस्पताल, स्कूल यानी लगभग सभी जगह मौजूद होने के प्रमाण मिले हैं। अनफोल्डिंगवर्ड के अध्यक्ष और सीईओडेविडरीन्स ने बताया कि भारत में वर्ष 2020 के कोरोना काल से लेकर अब तक पिछले 25 वर्ष की तुलना में सबसे ज्यादा चर्च बनाए गए और हजारों लोगों को ईसाई धर्म में बदला गया। वह बताते हैं कि लॉकडाउन में लोगों से मिलने की मनाही थी तो उन्होंने व्हाट्सएप के माध्यम से लगभग एक लाख लोगों का धर्म परिवर्तन किया है। लॉकडाउन के दौरान प्रत्येक चर्च ने दस गांवों को चुना। वहां के लोगों का व्हाट्सएप पर लालच, भय और बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन के लिए प्रोत्साहित किया गया। जैसे-जैसे लॉकडाउन में ढील मिली मिशनरी इन गाँवों में घुस गए और जमकर धर्म परिवर्तन कराया।

मिशनरी संगठन की गतिविधियों पर सख्त पाबंदी आवश्यक

विदेशी धन का धर्मांतरण के लिए इस्तेमाल देश की सुरक्षा और स्थिरता के लिए बड़ी चुनौतियों को जन्म दे रहा है। देश को गहरे नुकसान से बचाने के लिए विदेशी चंदे पर पूरी तरह रोक के साथ-साथ मिशनरी संगठन की गतिविधियों पर सख्त पाबंदी आवश्यक है। आज अपनी संस्कृति एवं देश को तोड़ने वाली ताकतों के खिलाफ एक साथ मजबूत होकर खड़े होने की आवश्यकता है। इस अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र को समझते हुए इसके खिलाफ सख़्त कानून बनाने की आवाज को बुलंद करना होगा ताकि पुनः किसी लावण्या को ऐसे वीभत्स और दुर्दांत कृत्य का सामना ना करना पड़े।

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