The news warrior
23 मई 2023
देश/विदेश : 23 मई 1984 का दिन भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है । यह हर एक भारतीय के लिए गर्व का दिन था, है और हमेशा रहेगा । इस दिन बछेन्द्री पाल ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह कर भारत का नाम रोशन किया था । वह विश्व की सबसे ऊंची चोटी फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बनी । उन्होंने यह मुकाम हासिल कर उन रूढ़िवादी लोगों को मुंहतोड़ जवाब दिया जो महिलाओं को कुछ भी नहीं समझते थे । उनसे हजारों लाखों महिलाएँ स्पोर्ट्स और एडवेंचर के लिए प्रेरित हुई।
यह भी पढ़ें : WhatsApp पर आया कमाल का फीचर, भेजे गए मैसेज को कर पाएंगे एडिट, जानें कैसे
परिवार नहीं चाहता था कि बेटी बने पर्वतारोही
बछेन्द्री पाल का जन्म 24 मई 1954 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के नकुरी गांव में हुआ था। अपने गांव में ग्रेजुएशन करने वाली पाल पहली महिला थीं और इसके बाद इन्होंने संस्कृत में मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद बीएड की पढ़ाई पूरी की। पर्वतारोही बनने के लिए पाल को अपने परिवार की ओर से बिल्कुल भी सपोर्ट नहीं मिला था । उनका परिवार उन्हें टीचर बनते देखना चाहता था ।
यह भी पढ़ें : HPBOSE इस सप्ताह जारी कर सकता है दसवीं का परीक्षा परिणाम
12 साल की उम्र में चढ़ी थी 13,123 फीट ऊंची चोटी पर
बछेन्द्री पाल के बचपन का एक किस्सा काफी मशहूर है । पाल ने महज 12 साल की उम्र में अपनी सहेलियों के साथ एक स्कूल पिकनिक के दौरान 13,123 फीट की चोटी पर चढ़ाई की थी। उस दौरान पाल को भी एहसास नहीं हुआ होगा कि वह आगे चलकर देश और दुनिया की सबसे ऊंची चोटी की चढ़ाई कर भारत का झंडा आसमान में लहराएगी।
यह भी पढ़ें : SBI दे रही बिलासपुर में ग्रैजूएट युवाओं को नौकरी का मौका, सैलरी 2 से 5 लाख
अपने जन्मदिन में खुद को दिया तोहफा
परिवार के खिलाफ जाकर उन्होंने माउंटनियरिंग में करियर बनाने का सोचा। इसके लिए उन्होंने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में दाखिले के लिए आवेदन कर दिया था। 1984 में भारत ने एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए एक अभियान दल बनाया। इस दल का नाम ‘एवरेस्ट-84’ रखा गया । इस दल में बछेंद्री पाल समेत 11 पुरुष और पांच महिलाएं शामिल थी। 15 मई को पूरी टीम ने पर्वत पर चढ़ाई शुरू की । एक रात जब सभी अपने कैंप में आराम कर रहे थे, तभी एक हिमस्खलन नीचे आया और उनका कैंप तोड़ दिया । इस घटना में आधे से ज्यादा लोगों को चोटें आई । यहाँ तक कि कुछ लोग वापिस लौट आए । इसके बाद आधे लोगों ने बछेंद्री पाल के साथ हिम्मत बनाए रखी और सफर जारी रखा । आज ही के दिन बछेंद्री ने 23 मई, 1984 को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर अपने जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले माउंट एवेरस्ट की चोटी पर फतह कर भारतीय झंडा फहरा कर देश का नाम रोशन किया । 1990 में गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज किया गया ।
यह भी पढ़ें : डीसी कुल्लू का ऑफिशियल फेसबुक पेज हैक, शातिरों ने डाला आपत्तिजनक कंटेन्ट
इन पुरस्कारों से हो चुकी हैं सम्मानित
बछेंद्र पाल को वर्ष 1984 में पद्मश्री, 1986 में अर्जुन पुरस्कार, जबकि वर्ष 2019 में पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। पर्वतारोहण के क्षेत्र में बछेंद्री पाल को कई मेडल और अवार्ड मिल चुके हैं। अपने आज तक के जीवन काल में वह 4500 से अधिक पर्वतारोहियों को प्रशिक्षित कर चुकी हैं ।