मंडी की आड़ कांगड़ा,चंबा पर वार हिमाचल में कांग्रेस में उभरे नए गुटीय समीकरण

0 0
Spread the love
Read Time:4 Minute, 27 Second


कांग्रेस में आजकल लंच डिप्लोमेसी के बहाने नूरा कुस्ती का खेल चल रहा है। हिमाचल में कांग्रेस के एक गुट का केंद्र अब मंडी है! हमीरपुर के अलावा वो सभी इसमें शामिल हैं जिनका वीरभद्र सिंह के साथ 36 का आंकड़ा रहा है। सभी ने वीरभद्र सिंह की सल्तनत को चुनौती दी और अब तक देते रहे हैं। यह अलग बात वीरभद्र सिंह इक्कीस रहे और ये उन्नीस। मंडी में यह नया केंद्र इसलिए बना ताकि कांगड़ा चम्बा से ध्यान हटाकर मंडी को बड़ी रणभूमि के तौर पर पेश करके वहाँ कमजोर कौल सिंह को आगे करके मुख्यमंत्री पद की दौड़ में दिखाया जा सके और कांगड़ा चम्बा के भविष्य में कभी सीएम पद की दौड़ के दावे को वरिष्ठता के आधार पर मुकाबला दिया जा सके।

हालांकि जिन्होंने यह किया वे यह भी जानते हैं कौल सिंह जो पहले नहीं कर पाए वह अब क्या करेंगे? ऊपर से ऐसे दौर में चित करवा गए हैं जब उनका बने रहना जरूरी था और अब जब विधायक नहीं हैं तो पहले विधायक बन पाना कठिन चुनौती है उसके बाद मुख्यमंत्री की सोची जाएगी। हालांकि मैं कौल सिंह के नेतृत्व पर सवाल नहीं उठा रहा हूँ। वह एक वरिष्ठ नेता हैं हिमाचल में। लेकिन किसी भी दौर में किसी भी नेता को चुनावी राजनीति में उसकी निर्णायक मोड़ पर हार या जीत उसकी कद काठी और उसके पद विशेष के लिए प्रतियोगी होने की योग्यता स्थापित करती है। कांग्रेस में कांगड़ा चम्बा के सीएम पद पर दावेदारों को मिलकर मुकाबला देकर वहां से राजनीति का ध्यान हटाने की मंडी में उभरे इस गुट की यह कोशिश  कांग्रेस को गुटीय लड़ाई में उलझाकर पार्टी का अहित तो करवा सकती है लेकिन मुझे नहीं लगता कि मंडी में कौल सिंह को आगे करके यह मोर्चेबन्दी भाजपा को कभी नुकसान कर पायेगी! सारे खेल में सीएम पद के दावेदारों के अंदरूनी मनोरथ तो सध सकते हैं और यह कुल मिलाकर किया भी इसलिए ही गया है ताकि कांगड़ा चम्बा वाले सीएम पद की रेस वाले नेताओं की राह के कौल सिंह को रोड़े के रूप में पेश रखा जाए और इसकी आड़ में पर्दे में बाकी दावेदार अपने इसी पद के लिए हितों को साधने में कामयाब हो सकें। लेकिन सत्ता तक पहुंचने की कांग्रेस की इच्छा इस रास्ते से अधूरी रहती नजर आ रही है।

हालाँकि लंच डिप्लोमेसी के बहाने पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह ने अपनी ताकत का एहसास करवाने की भी कोशिश की परन्तु इसमें भी उनके खासमखास रहे नेता पर्तिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सुधीर शर्मा,धनीराम शाण्डिल सहित कई कद्द्वार कांग्रेसी नेताओं की गैरहाजरी राजा वीरभद्र की क्षीण होती राजनितिक पकड़ का संकेत दे गई I इसलिए कांग्रेस छिनी हुई सियासी जमीन के वापस आने से पहले ही उस पर हकबन्दी में अपनी ऊर्जा गंवाने के बजाए भाजपा को मात देने की रणनीति पर विचार करे और उसे आगे बढ़ाए। कुर्सी से पहले इसे टिकाने को जमीन हासिल करने की सोचे। अन्यथा भाजपा फिर से किसी न किसी बहाने से लौट आएगी और कांग्रेस किसी नीरस धारवाहिक की अंतिम कड़ी साबित हो जाएगी!

यह भी पढ़ें -: 2022 के चुनावों में तीसरे मोर्चे का भविष्य

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
Next Post

गारंटी रोजगार प्रदान करने की नई पहल

Spread the loveकोरोना वायरस महामारी ने दुनिया के लिए कई चुनौतियां पेश की है I भारत भी इस बीमारी से लड़ रहा है I कोविड-19 के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है Iराज्य सरकार कोविड-19 के संक्रमण को नियंत्रण करने के लिए […]

You May Like