गोवर्धन पूजा, जानें महत्व, तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

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गोवर्धन पूजा, जानिए महत्व, तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

दीपावली से ठीक एक दिन बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है। इस दिन श्रीकृष्ण के स्वरूप गोवर्धन पर्वत (गिरिराज जी) और गाय की पूजा का विशेष महत्व होता है। गोवर्धन, वृंदावन और मथुरा सहित पूरे बृज में इस दिन जोर-शोर से अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव कार्तिक प्रतिपदा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में इंद्र ने कुपित होकर जब मूसलाधार बारिश की तो श्री कृष्ण ने गोकुलवासियों व गायों की रक्षार्थ और इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत, छोटी अंगुली पर उठा लिया था। उनके सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी, सभी गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुरक्षित रहे। तब ब्रह्माजी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर श्रीकृष्ण ने जन्म ले लिया है,उनसे बैर लेना उचित नहीं है। तब श्रीकृष्ण अवतार की बात जानकर इन्द्रदेव अपने इस कार्य पर बहुत लज्जित हुए और भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की।इन्द्र के अभिमान को चूर करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने सभी गोकुल वासियों सहित कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी।

क्या है अन्नकूट-

अन्नकूट बनाने के लिए कई तरह की सब्जियां, दूध और मावे से बने मिष्ठान और चावल का प्रयोग किया जाता है। अन्नकूट में ऋतु संबंधी अन्न, फल, सब्जियां का प्रसाद बनाया जाता है। इस दिन गोवर्धन पूजा में भगवान कृष्ण के साथ धरती पर अन्न उपजाने में मदद करने वाले सभी देवों जैसे, इन्द्र, अग्नि, वृक्ष और जल देवता की भी आराधना की जाती है। गोवर्धन पूजा में इन्द्र की पूजा इसलिए होती है क्योंकि अभिमान चूर होने के बाद इन्द्र ने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी और आशीर्वाद स्वरूप गोवर्धन पूजा में इन्द्र की पूजा की  इन्द्र की पूजा को भी मान्यता दे दी।

ऐसे शुरू हुई 56 भोग की परंपरा

मान्यता के अनुसार इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए और इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था। इंद्र अपनी शक्ति से लगातार 7 दिनों तक ब्रज में मूसलाधार बारिश कराते रहे। तब भगवान कृष्ण ने लगातार सात दिनों तक भूखे-प्यासे रहकर अपनी उंगली पर गोर्वधन पर्वत को उठाएं रखा। इसके बाद उन्हें सात दिनों और आठ पहर के हिसाब से 56 व्यंजन खिलाए गए थे, तभी से ये 56 तरह के भोग लगाने की शुरूआत हुई।

गोवर्धन पूजा की विधि

गोवर्धन पूजा करने के लिए आप सबसे पहले घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाएं। इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें।इसके बाद अपने परिवार सहित श्रीकृष्ण स्वरुप गोवर्धन की सात प्रदक्षिणा करें। मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से एवं गायों को गुड़ व चावल खिलाने से भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है। इस दिन गाय की पूजा करने से सभी पाप उतर जाते हैं और मोक्ष प्राप्त होता है।

 

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