THE NEWS WARRIOR
10/05/2022
खालिस्तानी समर्थक
सिख फार जस्टिस संगठन के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पुन्नु के खिलाफ अंतररास्ट्रीय आपराधिक केस दर्ज किए जाने के एलान से एक बार फिर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को धमकी दिए जाने के मामले ने आग में घी डालने का काम किया है । उसने शिमला में प्रदेश पुलिस मुख्यालय पर हमला करने के संकेत देते हुए धर्मशाला के तपोवन के मामले में कार्रवाई न करने की हिदायत दे डाली है । अन्यथा मोहाली घटना की हिमाचल में पुनरावृति होगी । ऐसी धमकी मिलने के बाद भले ही मुख्यमंत्री की सुरक्षा बढ़ाए जाने के साथ ही पूरे प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है । जिस व्यक्ति के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कानून के अंतर्गत मामला दर्ज किया जा रहा है । वह पूरे सरकारी तंत्र को ही धमकी दे रहा है । इस सारे प्रकरण से पता चलता है कि पुन्नु के मनसूबे कितने खतरनाक है तथा सरकार को उसके तथा जो प्रदेश में शांति का वातावरण खराब कर रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाए जाने की जरूरत है । यह नहीं है कि इस तरह का यह पहला मामला है ।
इस वर्ष के शुरू से ही हिमाचल प्रदेश के शांत माहौल को खालिस्तानी समर्थक खराब कर रहे हैं । ये खालिस्तानी समर्थक प्रदेश में अपने झंडे व पोस्टर लगाकर राजनीतिक नेताओं व पत्रकारों आदि को धमकियां दे रहे हैं । इस मामले को लेकर मंगलवार की आम आदमी पार्टी ने प्रदेश के जिला मुख्यालयों में धरना प्रदर्शन आयोजित किए तथा सरकार की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान उठाए तथा यह मांग की कि खालिस्तान समर्थकों पर कड़ी कार्रवाई की जाए । आम आदमी पार्टी ने पुलिस भर्ती के मामले में भी सरकार को घेरा तथा उपायुक्तों के माध्यम से ज्ञापन भी भेजे । कांग्रेस भी इन दोनों मामलों को जोर-शोर से उठा रही है ।
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कांग्रेस व भाजपा नेता यह आरोप लगाते फिर रहे हैं कि पंजाब में आप की सरकार बनने के बाद हिमाचल का माहौल खराब हुआ है । यह कड़वी सच्चाई भी है । खालिस्तानी समर्थकों की गतिविधियां हिमाचल में भी पहुंची है । गत 15 अप्रैल को उक्त उपद्र्बियों ने हिमाचल दिवस पर झंडा न फहराने की धमकी दे डाली थी । प्रदेश सरकार द्वारा काफी चौकसी बढ़ा दी थी । इसलिए उनकी धमकियां मात्र गीदड़ भवकियां ही सावित हुई थी । अभी हाल ही में धर्मशाला की शीत कालीन विधानसभा तपोवन में फिर से खालिस्तानी समर्थकों ने खालिस्तान के झंडे लगाकर एक बार साबित कर दिया कि हिमाचल सरकार उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है ।
दरअसल जब दिल्ली की सीमा पर महीनों तक किसान आंदोलन चला था । उसके बीच में जब किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकाली थी तब भी इस तरह की घटना घटी थी । उस समय किसान ऐ तिहासिक लालकिले तक ही नहीं पहुंचे थे बल्कि वहां कोई दूसरा झंडा भी फहरा दिया था । चर्चा तो यह भी रही कि वह खालिस्तान का झण्डा था । इस पर किसान यूनियन के विभिन्न गुटों के नेताओं ने सफाई दी है कि झंडा फहराने का यह काम किन्ही असमाजिक तत्वों का हो सकता है ।
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ऐसी घटना से किसान आंदोलन का कोई सम्बध नहीं है । वहां कुछ लोगों पर आपराधिक मामले दर्ज हुए थे । उसके बाद कुछ समय तक शांति रही । पहले पंजाब और अब हिमाचल में ऐसी गतिविधियां बढ़ी है । इससे प्रदेश की कानून व्यवस्था भी कटघरे में खड़ी हो गई । कांग्रेस के नेता भी अशान्ति फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग कर रही है । कांग्रेस के विधायक विक्रमादित्य सिंह ने तो इस मामले में वाकायदा सावजनिक रूप से कह दिया है कि कांग्रेस व प्रदेश के लोग सरकार के साथ है । प्रदेश में किसी को इस तरह की हरकत करने की इजाजत नहीं दी जाएगी । ऐसे असमाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए । इससे पहले भी खालिस्तान समर्थकों ने प्रदेश की शांति को भंग करने का प्रयास किया ।
रामलाल पाठक
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