राष्ट्रीय विज्ञान दिवस विशेष: साइंस और टेक्नोलॉजी रिसर्च में भारत का दबदबा,टॉप10 देशों में है शामिल

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28 /02 /2022

 महान वैज्ञानिक सीवी रमन ने 28 फरवरी 1928 को रमन प्रभाव की थी  खोज

वर्ष 1987 में मनाया गया था पहला ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’

28 फरवरी को मनाया जाता है नेशनल साइंस डे के रूप में

रिसर्च के क्षेत्र में टॉप 10 देशों में है दबदबा

 राष्ट्रीय विज्ञान दिवस:-  आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस है। हर साल 28 फरवरी को यह खास दिन नेशनल साइंस डे के रूप में मनाया जाता है।इस दिन को महान वैज्ञानिक सीवी रमन के सम्मान और स्मृति में मनाया जाता है।   विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से 28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से यह खास दिन मनाया जाता है। ​जानिए हाल के वर्षों में विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने किन पायदानों पर प्रगति की है। पीएम नरेंद्र मोदी के नारे जय जवान, जय किसान में जय विज्ञान को जोड़ने से  विज्ञान के विकास की गति निश्चिति तौर पर और बढ़ गई है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का  कैसे हुआ उदगम 

भारत के महान वैज्ञानिक सीवी रमन ने 28 फरवरी 1928 को रमन प्रभाव की खोज की। इसी उपलक्ष्य में भारत में 1986 से हर वर्ष इस दिन को ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। रमन प्रभाव की खोज के कारण ही राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इस खोज की घोषणा 28 फरवरी 1928 में भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन की थी। इस खोज के लिए सर चंद्रशेखर वेंकटरमन को 1930 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पहला ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’वर्ष 1987 में मनाया गया था।दुन‍िया के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक प्रो. सीवी रमन का काम विज्ञान के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण रहा है और उनका जीवन कई लोगों के लिए एक सीखने वाला सबक रहा है.

क्या है उद्देश्य राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का उद्देश्य विद्यार्थियों का विज्ञान के प्रति इंटरेस्ट जगाना है। साथ ही विज्ञान को आम जनमानस तक पहुंचाना ताकि विज्ञान के प्रति लोग आकर्षित हो सकें और नए अनुसंधान हो सकें। क्योंकि नए आविष्कार और अनुसंधानों से ही विकास की राह अग्रसर होती है।
विज्ञान के माध्यम से नागरिक तकनीक और ऊंचाइयों को हासिल कर सकते हैं। इस दिन पूरे भारत में वैज्ञानिक सोच का प्रसार करना होता है। विज्ञान दिवस पर विद्यालयों, महाविद्यालयों में कई साइंस से जुड़े कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। इसमें उत्कृष्ट योगदान देने वाले प्रतिभाशाली व्यक्तियों को पुरस्कार भी दिया जाता है। इन पुरस्कारों को प्रदान करने का मकसद विज्ञान की लोकप्रियता को आम जनमानस में बढ़ाना और इसका प्रचार—प्रसार करना है।

रिसर्च के क्षेत्र में शीर्ष रैंकिंग वाले देशों में शामिल

हाल के वर्षों में हमारे देश में विज्ञान में रिसर्च और डेवलपमेंट के कई काम हुए हैं। जाहिर है पीएम मोदी ने ​भी विज्ञान के महत्व को माना और तभी जय जवान, जय किसान के साथ उन्होंने जय विज्ञान का नारा भी दिया। इंडियन साइंस एंड रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंडस्ट्री रिपोर्ट—2019 के अनुसार भारत बुनियादी रिसर्च के क्षेत्र में शीर्ष रैंकिंग वाले देशों में शामिल है।

भारतीय वैज्ञानिक लौट रहे स्वदेश

विश्व की तीसरी सबसे बड़ी वैज्ञानिक और तकनीकी जनशक्ति भी भारत में ही है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा संचालित शोध प्रयोगशालाओं के ज़रिये विभिन्न शोधकार्य किये जाते हैं। हमारा देश विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी देशों में सातवें स्थान पर है। मौसम पूर्वानुमान एवं निगरानी के लिये प्रत्युष नामक शक्तिशाली सुपरकंप्यूटर बनाकर भारत इस क्षेत्र में जापान, ब्रिटेन और अमेरिका के बाद चौथा प्रमुख देश बन गया है। यही नहीं, नैनो तकनीक पर शोध के मामले में भारत दुनियाभर में तीसरे स्थान पर है। लगातार विज्ञान के क्षेत्र में बढ़ता भारत ब्रेन ड्रेन से ब्रेन गेन की स्थिति में पहुंच रहा है और विदेशों में काम करने वाले भारतीय वैज्ञानिक स्वदेश लौट रहे हैं।

 वैश्विक आर एंड डी में भारत की  हिस्सेदारी 

पिछले कुछ वर्षों में हमने विज्ञान के क्षेत्र में रिसर्च विकास में निवेश बढ़ाया है। वैश्विक अनुसंधान एवं विकास खर्च में भारत की हिस्सेदारी 2017 के 3.70% से बढ़कर 2018 में 3.80% हो गई।भारत एक वैश्विक अनुसंधान एवं विकास हब के रूप में तेजी से उभर रहा है। देश में मल्टी-नेशनल कॉर्पोरशन रिसर्च एंड डेवलपमेंट केंद्रों की संख्या 2010 में 721 थी और अब नवीनतम आंकड़ों के अनुसार यह 2018 में 1150 तक पहुंच गई है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उद्देश्य:-

विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित व प्रेरित करना

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित व प्रेरित करना तथा जनसाधारण को विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाना है। विज्ञान के बिना विकास की राह में तीव्रता से आगे नहीं बढ़ा जा सकता है। विज्ञान से गलत धारणा और अंधविश्वासों (अन्धविश्वासों) का विनाश होता है। विज्ञान और तकनीक को प्रसिद्ध करने के साथ ही देश के नागरिकों को इस क्षेत्र मौका देकर नई ऊँचाइयों को हासिल करना भी इसका मुख्य उद्देश्य है।

समाज को विज्ञान के प्रति जागरूक करने का उद्देश्य

देश के विकास के लिए वैज्ञानिक सोच का प्रसार आवश्यक है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस जैसे आयोजन वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रसार में निश्चित रूप से सहायक सिद्ध हो सकते हैं। विज्ञान के द्वारा ही हम समाज के लोगों का जीवन स्तर अधिक से अधिक खुशहाल बना सकते हैं। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

विभिन्न संस्थानों में प्रतियोगिताओं का आयोजन 

इस दिन सभी विज्ञान संस्थानों, जैसे राष्ट्रीय एवं अन्य विज्ञान प्रयोगशालाएं, विज्ञान अकादमियों, स्कूल और कॉलेज तथा प्रशिक्षण संस्थानों में विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों से संबंधित प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं। महत्त्वपूर्ण आयोजनों में वैज्ञानिकों के भाषण, निबंध, लेखन, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, विज्ञान प्रदर्शनी, सेमिनार तथा संगोष्ठी इत्यादि सम्मिलित हैं। विज्ञान के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए राष्ट्रीय एवं दूसरे पुरस्कारों की घोषणा भी की जाती है। विज्ञान की लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए विशेष पुरस्कार भी रखे गए हैं।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का विषय

वर्ष 1999 – “हमारी बदलती धरती”।

वर्ष 2000 – “मूल विज्ञान में रुचि उत्पन्न करना”।

वर्ष 2001 – “विज्ञान शिक्षा के लिये सूचना तकनीक”।

वर्ष 2002 – “पश्चिम से धन”।

वर्ष 2003 – “जीवन की रुपरेखा- 50 साल का डीएनए और 25 वर्ष का आईवीएफ”।

वर्ष 2004 – “समुदाय में वैज्ञानिक जागरुकता को बढ़ावा देना”।

वर्ष 2005 -“भौतिकी को मनाना”।

वर्ष 2006 – “हमारे भविष्य के लिये प्रकृति की परवरिश करें”।

वर्ष 2007 – “प्रति द्रव्य पर ज्यादा फसल”।

वर्ष 2008 – “पृथ्वी ग्रह को समझना”।

वर्ष 2009 – “विज्ञान की सीमा को बढ़ाना”।

वर्ष 2010 – “दीर्घकालिक विकास के लिये लैंगिक समानता, विज्ञान और तकनीक”।

वर्ष 2011 – “दैनिक जीवन में रसायन”।

वर्ष 2012 – “स्वच्छ ऊर्जा विकल्प और परमाणु सुरक्षा”।

वर्ष 2013 – “अनुवांशिक संशोधित फसल और खाद्य सुरक्षा”।

वर्ष 2014 – “वैज्ञानिक मनोवृत्ति को प्रोत्साहित करना”।

वर्ष 2015 – “राष्ट्र निर्माण के लिये विज्ञान”।

वर्ष 2016 – “देश के विकास के लिए वैज्ञानिक मुद्दों पर सार्वजनिक प्रशंसा बढ़ाने के लक्ष्य” ।

वर्ष 2017 – “विशेष रूप से एबल्ड पर्सन के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी”।

वर्ष 2018 –  “एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी।”

वर्ष 2019 – “विज्ञान के लिए जन और जन विज्ञान के लिए विज्ञान।”

वर्ष 2020 – “विज्ञान में महिलाएँ।”

वर्ष2021 -एस.टी. आई.का भविष्य”शिक्षा, कौशल और प्रभाव

वर्ष2022 -सतत भविष्य के लिए विज्ञानऔर प्रौद्योगिकी में एक्कीकृत दृश्टिकोण

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