आखिर क्यों पड़ी नए संसद भवन की जरूरत? यह है वजह, कितना हुआ खर्च

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24 मई 2023

दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन  का उद्घाटन करेंगे। उन्होंने 10 दिसंबर 2020 को इसका शिलान्यास किया था। जनवरी 2021 में निर्माणकार्य शुरू हुआ था। ऐसे में नए संसद भवन को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं । लोगों के मन में यही सवाल आ रहे होंगे कि संसद भवन होते हुए नए संसद भवन  की क्या जरूरत थी ? कितनी लागत इसके निर्माण के लिए खर्च हुई ? कितने मजदूरों ने इसका निर्माण किया ? भवन के उद्घाटन के लिए 28 मई का ही दिन क्यों चुना गया ? यही नहीं विपक्षी पार्टियां भवन के उद्घाटन के लिए पीएम का विरोध क्यों कर रहे हैं ?

 

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यह वजह है कि नया संसद भवन बनाना पड़ा

नया संसद भवन बनाने के पीछे सबसे बड़ी वजह  उचित स्थान की कमी होना था । वर्तमान में लोकसभा में सदस्यों की संख्या 543 और राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 है । जनगणना होने पर संख्या और बढ़ जाएगी । 2026 में परिसीमन के बाद संसद सदस्यों की संख्या बढ़ने पर यह भवन उनका भार उठाने में सक्षम नहीं है । नए संसद भवन में अधिक सांसदों के बैठने की जगह है। लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 300 सांसद बैठ सकते हैं।

 

इसका दूसरा कारण भवन का 100 साल के लगभग पुराना होना है । इसके साथ ही यह भवन भूकंपरोधी भी नहीं है और आधुनिक सुविधाओं की कमी भी है । नया संसद भवन भूकंपरोधी और आधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस है ।

नया भवन बनाने का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि मंत्रालयों के ऑफिस अलग लग जगह पर है जिससे कार्यों में संतुलन नहीं बन पाता है । ऐसे में नए भवन में इन सभी सुविधाओं को ध्यान में रखा गया है ।

 

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65,000 वर्ग मीटर में फैला है नया संसद भवन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी। नया संसद भवन 65,000 वर्ग मीटर में फैला है। नए भवन में सेंट्रल हॉल नहीं है। वर्तमान में सेंट्रल हॉल का इस्तेमाल लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्रों के लिए होता है। नए भवन के लोकसभा कक्ष का इस्तेमाल संयुक्त सत्रों के लिए होगा।

 

नए भवन को बनाने में खर्च हुए हैं 1,200 करोड़ रुपए

नए संसद भवन को बनाने में करीब 1,200 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। जबकि पुराने संसद भवन का निर्माण 1921 से 1927 के बीच हुआ था। इसे बनाने में 83 लाख रुपए खर्च हुए थे ।

60 हजार श्रम योगियों ने दिया अपना योगदान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  28 मई को संसद का नवनिर्मित भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस नई संचरना को रिकॉर्ड समय में बनाने के लिए करीब 60,000 श्रमयोगियों ने अपना योगदान दिया है। इस अवसर पर पीएम मोदी  सभी श्रमयोगियों का सम्मान भी करेंगे ।

इसलिए चुना 28 मई का दिन

28 मई, 2023 को स्वांत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर या वीर सावरकर की 150वीं जयंती है। यही वजह है कि भवन के उद्घाटन के लिए 28 मई का दिन चुना गया । सावरकर केंद्र में सत्तारूढ़ दल बीजेपी वैचारिक प्रेरणा स्रोत हैं। दो दिन पहले 26 मई, 2023 को मोदी सरकार के नौ साल पूरे हो जाएंगे।

विपक्षी पार्टियां क्यों कर रही विरोध

नरेंद्र मोदी ने 26 मई, 2014 को पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। प्रधानमंत्री कार्यपालिका के प्रमुख होते हैं। राष्ट्रपति विधायिका के अध्यक्ष होते हैं। बल्कि संसद का निर्माण ही लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति से मिलकर होता है। वहीं राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है ।  विरोधी इसी का हवाला देकर पीएम की जगह राष्ट्रपति से नए संसद भवन के उद्घाटन की मांग कर रहे हैं।

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