हिमाचल में बिगड़ने लगा एयर क्वालिटी इंडेक्स, 4 शहरों का AQI-100 माइक्रो ग्राम के पार

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31/03/2022

हिमाचल में बिगड़ने लगा एयर क्वालिटी इंडेक्स

4 शहरों का AQI-100 माइक्रो ग्राम के पार 

कालाअंब की हवा की गुणवत्ता सबसे अधिक प्रभावित

परवाणु की हवा सबसे साफ

शिमला:-

हिमाचल में गर्मी बढ़ने के साथ-साथ एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) भी बिगड़ने लगा है। प्रदेश में इस साल मार्च में पहली बार 4 शहरों का AQI-100 माइक्रो ग्राम के स्तर को पार कर गया है। कालाअंब की हवा की गुणवत्ता सबसे अधिक प्रभावित हुई है। यहां का AQI 179 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पहुंच गया है।

मार्च महीने में बद्दी को छोड़कर अन्य शहरों का AQI 100 माइक्रो ग्राम से रहता है कम 

बद्दी का AQI-140 माइक्रो ग्राम, नालागढ़ का AQI-101 माइक्रो ग्राम और पोंटा साहिब का 113 माइक्रो ग्राम दर्ज किया गया है। आमतौर पर मार्च महीने में बद्दी को छोड़कर अन्य शहरों का AQI 100 माइक्रो ग्राम से कम रहता है, लेकिन इस बार ड्राई स्पेल लंबा होने के कारण चौतरफा धूल उड़ रही है।

जाने कैसे बिगड़ रहा है AQI

धूल के कण हवा व वायुमंडल में घुलने से AQI बिगड़ रहा है। इसके बढ़ने से सांस के रोगियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि 100 माइक्रो ग्राम से अधिक का AQI अच्छा नहीं माना जाता है। कार्बन क्रेडिट स्टेट हिमाचल में हवा की गुणवत्ता बिगड़ना अच्छा संकेत नहीं है।

अन्य शहरों में नियंत्रण में है AQI

ऊना का 65 माइक्रो ग्राम, डमटाल शहर का AQI-51 माइक्रो ग्राम, शिमला का 88 माइक्रो ग्राम, मनाली का 55 और सुंदरनगर का 75 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया है।

परवाणु की हवा सबसे साफ

प्रदेश के प्रवेश द्वार परवाणु का AQI सबसे उम्दा है। परवाणु शहर की हवा की गुणवत्ता इन दिनों शिमला से भी बेहतर है। परवाणु का AQI-33 माइक्रो ग्राम तथा धर्मशाला का 48 माइक्रो ग्राम चल रहा है।

जाने कितना AQI है अच्छा

0 से 50 माइक्रो ग्राम के बीच का AQI सर्वोत्तम माना जाता है। 51-100 माइक्रो ग्राम के बीच का संतोषजनक, 101 से 200 के बीच का मध्यम श्रेणी, 201 से 300 के बीच खराब, 301 माइक्रो ग्राम से अधिक का AQI बहुत खराब माना जाता है।

क्या है AQI

AQI हवा में मौजूद जहरीले कणों को मापने का जरिया है। इसके 100 माइक्रो ग्राम से अधिक होने से इंसान के फेफड़ों पर दुष्प्रभाव पड़ने लगता है। वायुमंडल में घुलने वाली जहरीली हवाएं सांस के साथ गले, श्वास नली और फेफड़ों तक पहुंच सकती हैं। इससे खासकर अस्थमा व श्वास रोगों की शुरुआत होने का भय रहता है। धूल के कारण चर्म रोग और आंखों में जलन भी होती है।

 

 

 

 

 

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