THE NEWS WARRIOR
BILASPUR – 6 जनवरी
शिमला| शिमला के ओकओवर में आज सुबह से बधाइयों का तांता लगा हुआ है क्योंकि आज हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का जन्मदिन है . मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का यह 57वां जन्मदिन है जिसे उन्होंने सादगी से मनाने का फ़ैसला लिया है I
आज उनके जन्मदिवस पर जाने उनके सफ़र के बारे में
एक साधारण परिवार से निकल कर सत्ता के शिखर पर पहुंचे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का जन्म 6 जनवरी 1965 को मंडी जिले के सराज हलके के तांदी गांव में पिता जेठूराम ठाकुर और मां ब्रिकमू देवी के घर हुआ था। जयराम ठाकुर के दो भाई और बहनें हैं। उनकी पत्नी साधना पेशे से डाक्टर हैं। जयराम ठाकुर के पिता खेती करते थे। उनकी आय बहुत कम थी। गरीबी के कारण जयराम ठाकुर का बचपन गांव में ही गुजरा। स्कूली शिक्षा गांव में पूरी करनी पड़ी।
जाने पिता की क्या इच्छा थी
पिता की इच्छा थी कि बेटा पढ़ लिख सरकारी नौकरी करे, ताकि परिवार को आर्थिक रूप से थोड़ा सहारा मिले। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद जयराम ठाकुर उच्च शिक्षा के लिए मंडी कालेज आए तो यहां छात्र राजनीति के रंग में रंगने लगे।उनका परिवार नहीं चाहता था कि वह राजनीति में जाएं, लेकिन जयराम ठाकुर भी कहां मनाने वाले थे।
कॉलेज में जुड़े इस संगठन से
जयराम ठाकुर वल्लभ कालेज मंडी से बीए की पढ़ाई कर रहे थे तो उन्होंने एबीवीपी के माध्यम से छात्र राजनीति में प्रवेश किया। एबीवीपी के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ भी जुड़े। पूर्णकालिक के तौर पर जम्मू कश्मीर के रियासी जिला में एबीवीपी का दायित्व देखा। वहां से 1992 को घर वापसी हुई।
मात्र 26 साल की उम्र में कांग्रेस के इस गढ़ को भेदने उतरे
1993 में जब वह मात्र 26 साल के थे तो भाजपा ने उन्हें कांग्रेस के गढ़ चच्योट हलके से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा। घरवालों को इस बात का पता चला तो उन्होंने इसका विरोध किया। जयराम ठाकुर के बड़े भाई बीरी सिंह बताते हैं कि परिवार के सदस्यों ने जयराम ठाकुर को राजनीति में न जाकर घर की खेतीबाड़ी संभालने की सलाह दी थी, क्योंकि चुनाव लड़ने के लिए परिवार की आर्थिक हालत अनुमति नहीं दे रही थी। जयराम ठाकुर ने अपने दम पर राजनीति में डटे रहने का निर्णय लिया था। पहले चुनाव में कांग्रेस के मोती राम से हलांकि 1951 वोटों से शिकस्त मिली मगर कांग्रेस को टक्कर देने में सफल रहे थे और जनता के मन में छाप छोड़ गए ।
1998 में भाजपा ने फिर से जयराम ठाकुर को चुनावी रण में उतारा। इस चुनाव में जयराम ठाकुर कांग्रेस के इस दुर्ग को भेदने में कामयाब रहे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोती राम को करारी शिकस्त देते हुए 5779 से यह चुनाव जीता उसके बाद कभी विधानसभा चुनाव में जयराम ने हार का मुंह नहीं देखा। जयराम ठाकुर विधायक बनने के बाद भी कभी सादगी से दूर नहीं हुए।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का परिवार
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की शादी 1995 में राजस्थान की जयपुर की डाक्टर साधना के साथ हुई। उनकी दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। छोटी अभी एमबीबीएस कर रही हैं।
राजनितिक सफ़र
*1984 में एबीवीपी से छात्र राजनीति में आए और कला संकाय में पढ़कर कक्षा प्रतिनिधि का पद जीता।
*1986 में एबीवीपी की प्रदेश इकाई में संयुक्त सचिव बने।
*1989 से 1993 तक एबीवीपी की जम्मू-कश्मीर इकाई में संगठन सचिव रहे। यहां से संगठन में इन्हें काफी अच्छी पकड़ मिली।
*1993 से 1995 तक भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के प्रदेश सचिव और प्रदेश अध्यक्ष भी रहे।
*1998 में जयराम पहली बार विधायक बने।
*2000 से 2003 तक वह मंडी जिला भाजपा अध्यक्ष रहे। 2003 में फिर चुनाव जीते।
*2003 से 2005 तक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे।
*2006 में उन्हें प्रदेशाध्यक्ष का पद मिला।
*2007 में चुनाव जीतकर पंचायतीराज मंत्री बने।
*2012 में वह फिर सिराज से जीते। *2017 में सिराज से ऐसे जीते की सीधे प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचे I