निर्भया फंड का सही इस्तेमाल नहीं कर पा रही हिमाचल सरकार

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डॉ. कमल सोई
PhD, MSc, MBA, MEP (IIMA), MITE, MACRS, MCIHT
(अंतर्राष्‍ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ)
सदस्य- राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार,
सदस्य-यूरोपीयन एसोसिएशन फॉर एक्सीडेंट रिसर्च एंड एनालिसिस
सलाहकार- जिला योजना बोर्ड, लुधियाना, पंजाब सरकार।
सदस्य- यूरोपीय सड़क सुरक्षा परिषद, सदस्य- अंतर्राष्ट्रीय सड़क महासंघ, सदस्य- राजमार्ग इंजीनियर संस्थान, सलाहकार- परिवहन अनुसंधान प्रयोगशाला, यूके ईमेल: kamaljsoi@gmail.com।
मोबाइल: +919815033333

हिमाचल सरकार को नहीं महिलाओं के सुरक्षा की चिंता 

THE NEWS WARRIOR 

शिमला 05 /02 2021 

निर्भया फंड का सही इस्तेमाल नहीं कर पा रही हिमाचल सरकार

निर्भया फंड का सही से इस्तेमाल न करने को लेकर अंतराष्ट्ररीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ कमल सोई ने हिमाचल सरकार को आज कटघरे में खड़ा किया है .

वाहनों में महिलाओं की सुरक्षा के दृष्टिगत केंद्र ने हिमाचल सरकार को कमांड और कंट्रोल सेंटर बनाने के लिए 9.36 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। निर्भया फंड के तहत यह रकम हिमाचल को मिली है। लेकिन हिमाचल सरकार इस सेंटर को बनाने में ढिलाई कर रही है।

कमल सोई ने शुक्रवार को शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि हिमाचल सरकार ने कमांड और कंट्रोल सेंटर प्राइवेट हाथों में दे दिया है तथा 4-5 निजी कम्पनियों को यह जिम्मेदारी दी गई है।उन्होंने सरकार को इस सेंटर के बनाने में निजी कम्पनियों को तवज़्ज़ो न देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि यह नारी की सुरक्षा से जुड़ा मसला है।

चिंता के प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

*निजी कंपनी को यह काम मिलने पर निजी कंपनी के पास वाहनों का डाटा चला जाएगा। इससे डाटा के गलत

इस्तेमाल की संभावनाए बढ़ जाएंगी। ऐसे में सरकार व परिवहन विभाग को कमांड और कंट्रोल सेंटर का काम निजी हाथों में

नहीं देना चाहिए।

*कंटोल रूम को प्राइवेट कम्पनियों के हवाले करने से महिलाओं से जुड़ा डाटा लीक होने का अंदेशा है।

*हिमाचल में लगभग 3-4 लाख के करीब पब्लिक वाहनों में जीपीएस व व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगना है। इनमें

से 30 हजार के आसपास वाहनों में जीपीएस व व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जा चुका है, लेकिन कंट्रौल रूम बनाने काम शुरू

नहीं हुआ है।

सुझाव -:

कंट्रोल रूम को बनाने का काम सरकारी कम्पनियों बीएसएनएल न एनआईसी को मिलना चाहिए था।

उनका कहना है कि कई प्रदेशों में कंट्रौल रूम स्थापित किए जा चुके हैं तथा सरकारी उपक्रमों की ओर से यह काम किया गया

है, जबकि हिमाचल प्रदेश में कंट्रोल रूम को प्राइवेट कम्पनियों को देने के पीछे सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

 

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