0
0
Read Time:1 Minute, 2 Second
मैं कुछ लिखना चाहती हूं, मैं कुछ लिखना चाहती हूं !
शब्दों से दुनिया की सोच बदलना चाहती हूं !
जो दिल में हो वही जुबां पर लाना चाहती हूं !
क्या रिश्तो की डोर में बंध ना जरूरी है !
मैं बेनाम रिश्तो के संग जीना चाहती हूं !
बरसने दो मेघों को सावन भादो की बहारों में !
मैं बिन बरसात बरसना चाहती हूं !
पूजने दो पत्थरों को जमाने वालों को !
मैं इंसान हूं इंसानियत को अहमियत देना चाहती हूं !
जाने दो दुनिया वालों को चांद और मंगल पर मैं !
धरती का बसींदा हूं धरती पर चलना चाहती हूं !
बह रहा है लाल रंग रग-रग में !
मैं जाती पाती के बंधन से होकर !
मुक्त लाल रंग की पहचान कराना चाहती हूं !
मैं कुछ लिखना चाहती हूं !
शब्दों से दुनिया की सोच बदलना चाहती हूं !