मैं कुछ लिखना चाहती हूं

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मैं कुछ लिखना चाहती हूं, मैं कुछ लिखना चाहती हूं !
शब्दों से दुनिया की सोच बदलना चाहती हूं !

जो दिल में हो वही जुबां पर लाना चाहती हूं !
क्या रिश्तो की डोर में बंध ना जरूरी है !

मैं बेनाम रिश्तो के संग जीना चाहती हूं !
बरसने दो मेघों को सावन भादो की बहारों में !

मैं बिन बरसात बरसना चाहती हूं !
पूजने दो पत्थरों को जमाने वालों को !

मैं इंसान हूं इंसानियत को अहमियत देना चाहती हूं !
जाने दो दुनिया वालों को चांद और मंगल पर मैं !

धरती का बसींदा हूं धरती पर चलना चाहती हूं !
बह रहा है लाल रंग रग-रग में !

मैं जाती पाती के बंधन से होकर !
मुक्त लाल रंग की पहचान कराना चाहती हूं !

मैं कुछ लिखना चाहती हूं !
शब्दों से दुनिया की सोच बदलना चाहती हूं !

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