ओ रे सखी ले सुन मेरे दिल की

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-यज्ञ दत्त शास्त्री चम्बा

ओ रे सखी ले सुन मेरे दिल की 

तुम शिमला शहर की क्वीन प्रिये,
मैं चुराह का मदमस्त फकीर प्रिये !

तुम सुनती अग्रेजी साँग प्रिये,
मैं  मन्त्रोचरण मे लीन प्रिये !

तुमको भाए पीजा चौमिन,
मैं चम्बा के मधरे का फैन प्रिये !

तुमको भाए हिन्दी इग्लिश
मैं पहाडी और संस्कृत का फैन प्रिये !

तुम एमफिल की गोल्ड मेडलिस्ट प्रिये,
मैं कर्मकांडी पंडित प्रिये !

तुम रहने वाली महलो की,
मैं मड घर का फैन प्रियेे !

तुम माया नगरी मुम्बई की फैन हो ,
मैं काशी विश्वनाथ का भक्त प्रिये !

तुम मनिकर्णिका घाट से डर जाती हो,
मैं  उसी मनिकर्णिका घाट का दास प्रिये !

तुम इन्स्टाग्राम की फैमस गर्ल ,
मैं  भोले नाथ का भक्त प्रिये !

तुम पीने वाली कोलन्ड्रिक प्रिये,
मैं बनारस की कुल्हड चाय का फैन प्रिये !

 

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