क्या है कामदा एकादशी, ब्रह्म हत्या से क्या है इसका कनेक्शन ?

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लेखिका 

संतोष गर्ग ( TGT ARTS )

क्या है कामदा एकादशी, ब्रह्म हत्या से क्या है इसका कनेक्शन ?

THE NEWS WARRIOR

23 अप्रैल

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं ।कामदा एकादशी इस वर्ष 23 अप्रैल दिन शुक्रवार को है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस दिन पूरे दिन फलाहार करते हुए व्रत किया जाता है और भगवान विष्णु की उपासना एवं आरती की जाती है। यह प्रचलित है कि इस व्रत वाले दिन व्रत की कथा का श्रवण जरूर करना चाहिए, तभी उसका फल प्राप्त होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

 

कामदा एकादशी व्रत कथा

 

सत युग में एक नगर में एक श्रेष्‍ठ ब्राह्मण और एक ठाकुर रहते थे। उनके मध्य परस्पर अक्सर विवाद रहता था ,वे एक दूसरे से किसी न किसी विषय पर उलझते रहते थे और झगड़ा करते रहते थे। दोनों के बीच आपसी झगड़े इतने बढ़ गए कि एक दिन ठाकुर ने ब्राह्मण को मार डाला। उसके इस कुकृत्य से उस नगर के ब्राह्मण काफी नाराज थे।उसे अपने किए पर बहुत ही पश्चाताप होने लगा जिससे ठाकुर अत्यंत परेशान रहने लगा ।उसने उस ब्राह्मण की हत्या के पश्चाताप में यज्ञ – हवन करने की सोची तो ब्राह्मणों ने उसके घर हवन एवं भोजन करने का निमंत्रण अस्वीकार कर दिया। सभी ब्राह्मणों के विरोध और गुस्से के कारण ठाकुर एकदम अकेला पड़ गया। उसके मन में अपने कृत्‍य के लिए जो ग्‍लानि पैदा हुई, उससे वह स्वयं को दोषी मानने लगा।उसे कहीं भी चैन नहीं मिलता था ।

मानसिक तौर पर वह काफी परेशान रहने लगा और शारीरिक रूप से दुर्बल अनुभव करने लगा ।अपने इस जीवन से वह बहुत दुःखी हो गया और वन की तरफ़ भटकने लगा जहाँ उसे एक ऋषि मिले। उसने ऋषि से अपने इस महापाप के निवारण का उपाय जानना चाहा। तब उस महात्मा ने उसे कामदा एकादशी का महत्व बताया और उसे कामदा एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया ।चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आने पर उस ठाकुर ने उस महात्मा के बताए अनुसार कामदा एकादशी का व्रत रखा। कामदा एकादशी के दिन जब वह भगवान विष्णु की मूर्ति के पास सो रहा था, तब उसने एक स्वप्न देखा।

उसमें भगवान विष्णु ने कहा​ “ठाकुर तुम इस व्रत के प्रभाव से ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो गए हो लेकिन स्मरण रहे कि भविष्य में अकारण इस प्रकार के हिंसात्मक कार्य न करें ।” ठाकुर की आँखों में आँसू थे और वह उठ कर प्रभु की मूर्ति के चरणों में गिर गया ।ब्रह्म हत्या के अपराध बोध से मुक्त होकर ठाकुर ने कामदा एकादशी व्रत के महत्व को सभी गाँव वालों को बताया।

कामदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ईश्वर के स्मरण से मनुष्य की तामसिक एवं हिंसात्मक प्रवृतियाँ सुप्तावस्था में चली जाती हैं और मनुष्य का आचरण झरने के जल के समान शीतल एवम् स्वच्छ होता हैं ।प्रभु विष्णु के चरणों में उस व्यक्ति को स्थान प्राप्त होता है और अन्य सकारात्मक मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं ।

 

सन्तोष गर्ग

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