विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के आयाम- संतोष गर्ग

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लेखिका
सन्तोष गर्ग
प्रशिक्षित कला स्नातक
रा० व० मा० वि ० स्वाहन
ज़िला बिलासपुर ,हि ०प्र ०

 

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के आयाम

 

THE NEWS WARRIOR 

बिलासपुर 15 -03 -2021 

 

प्रकृति में जीवन के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सबके लिए सजगता , समभाव , समन्वय नितांत अनिवार्य है । किसी का शोषण न हो , अमान्य व्यवहार न हो उसके लिए प्राचीन समय से ही नियमावली , विधान संहिता के अनुसार जीवन आगे बढ़ता गया लेकिन समय के साथ मानव व्यापार और बाज़ार में मानकों को दरकिनार करके केवल व्यक्तिगत लाभ की दृष्टि से काम करने लगे और यह क्रम बढ़ता चला ।

प्रथम सहस्राब्दि के उत्तरार्ध की बात करें तो जब भी अधिकारों की समानता का विषय उठता है तो उसके लिए सर्वप्रथम आवाज़ अमेरिका से ही आती है फिर वह मौलिक अधिकार हो या महिला दिवस या उपभोक्ता के अधिकार । अमेरिका एक ऐसा राष्ट्र है जो निश्चय ही सकारात्मक रूप से किसी भी अन्वेषी कार्य का प्रादुर्भाव करने से चूकता नहीं है ।

अमेरिका के पैंतीसवे राष्ट्रपति जॉन एफ० कनेडी जी ने 1962 में सर्वप्रथम एक मंच से उपभोक्ता के अधिकारों के विषय में अपना पक्ष रखकर नींव प्रतिस्थापित की जिसके चलते विश्व स्तर पर अधिकारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 15 मार्च ,1983 में मनाया गया जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता को उसके अधिकार के प्रति सजग करवाना था ।

उपभोक्ता अधिकार का सीधे शब्दों में आशय है कि प्रत्येक उपभोक्ता को वस्तु की गुणवता , मात्रा , प्रामाणिकता ,मानक एवम् क्षमता के बारे में जानकारी रखने का अधिकार है ।यह आवश्यकताओं एवं सेवाओं के विषय में वैश्विक सजगता के महत्व को अभिलक्षित करता है ।इसी तरह प्रतिवर्ष यह दिवस एक विशेष प्रकरण को आधार बना कर मनाया जा रहा है । वर्ष 2020 में ‘सतत उपभोक्ता ‘ विषय बिंदु के आधार पर जलवायु परिवर्तन एवं जैविक विविधता में प्रतिवर्ष हो रही क्षति समस्त सृष्टि के लिए चिंतनीय विषय बनता जा रहा है ।

उपभोक्ता को पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना प्राकृतिक पदार्थों एवं ऊर्जा का उपयोग करना होगा वरना यह पृथ्वी मानव जीवन के संचालन हेतु असमर्थ हो जाएगी इस विकट परिस्थिति से बचने के लिए ही गत वर्ष पर्यावरण संरक्षण में उपभोक्ता की सक्रिय सहभागिता पर ध्यान केंद्रित किया गया । वर्ष 2020 में पूरा विश्व कोविड- 19 महामारी की चपेट में आ गया जिससे अर्थ व्यवस्था और मानव जनजीवन की दशा और दिशा बदल गयी । उपभोक्ता अपने अधिकारों के साथ -साथ अपने कर्तव्य के बारे में सोचने पर विवश हो गया ।

आज उपभोक्ता को मात्र भौतिक सुख -सुविधा के बारे में सोचने के साथ प्रकृति के संरक्षण और प्राकृतिक उत्पादकों के सही उपयोग एवम् संवर्धन के विषय में कार्य करने की आवश्यकता है ।
वर्ष 2021 में इस दिवस को एक नए थीम ‘टैक्लिंग प्लास्टिक पॉल्यूशन ‘ के साथ प्रक्षेपित किया जा रहा है ।प्लास्टिक प्रदूषण से अभिप्राय धरती की सतह पर प्लास्टिक से बनी अनुपयोगी वस्तुओं का संचित होना है जिससे प्रतिवर्ष 1.1से 8.8मिलियन टन व्यर्थ प्लास्टिक महासागरों के किनारों पर जमा हो रही है जिसके परिणाम अत्यंत घातक हैं । हमारा परितंत्र एक बार प्रयोग किए जाने वाले प्लास्टिक से पीड़ित है ।

ज़रा सोचिए ,हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में प्लास्टिक सर्वाधिक प्रयोग किया जाने वाला पदार्थ बन चुका है । सुबह की बेड -टी प्लास्टिक के कप में ,बाथरूम से लेकर रसोईघर तक का अधिकांश सामान प्लास्टिक से बना होता है ।सबसे ज़्यादा दुःखद यह है कि हम एक बार इस्तेमाल करने वाले प्लास्टिक के आदी बनते जा रहे हैं यदि कोई कार्यक्रम हो गिलास से लेकर पत्तल सब प्लास्टिक का प्रयोग हो रहा है ।

प्लास्टिक के प्रयोग ने लघु कुटीर उद्योग जैसे पत्तल , टोकरियाँ बनाने वालों को बेकार कर दिया यदि यह स्थिति ऐसी ही रही तो 2050 तक महासागरों में जलीय जीवों का स्थान पर प्लास्टिक अधिक तैरता हुआ नज़र आएगा । वर्तमान आँकड़े देखे जाए तो प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक स्तनधारी ,पक्षी आदि जीव प्लास्टिक के कारण मृत्य को प्राप्त हो रहे हैं लेकिन यक्ष -प्रश्न की तरह यह सबसे बड़ा आश्चर्य है कि सब कुछ जानने के बाद भी हम प्लास्टिक के मोह को त्याग कर इस जीवनदायिनी सृष्टि की रक्षा करने में सक्षम नहीं ।हमें प्राकृतिक पदार्थों से जीवन निर्वहन करके अपने उपभोक्ता होने के अधिकार की रक्षा करके प्रकृति का सम्मान करें ।

इस वर्ष वैश्विक स्तर पर विश्व उपभोक्ता दिवस पर उपभोक्ताओं को प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने हेतु सजग किया जा रहा है ।जिसमें 7- आर का मॉडल प्रस्तुत किया गया ।रिडयूस -प्लास्टिक के प्रयोग को कम करना ,रियूज़ -पूर्वनिर्धारित प्लास्टिक के समय को बढ़ाना ,रिसाइकल -व्यर्थ प्लास्टिक की पुनरावृति करके बेहतर सुविधा की माँग करना ,रिपेयर -टूटें हुए प्लास्टिक की मरम्मत करना,रिप्लेस -एक बार उपयोग की जाने वाले प्लास्टिक पदार्थों को अन्य पदार्थों के साथ बदलें जैसे मिट्टी ,तांबे , पीतल ,लकड़ी ,लोहे आदि का सामान ,रिथिंक -पुन: सोचे कि प्लास्टिक के बैग में सामान नहीं लेंगे और रिफ़्यूज़ – प्लास्टिक से बनी डिस्पोज़बल वस्तुओं को ख़रीदने के लिए एक सख़्त न करें ।

आइए हम सभी मिल कर यह शुरुआत स्वयं से करें और एक जागरूक उपभोक्ता बनकर इस 7-R मॉडल को अपना अधिकार का मानक मानकर इसका सदुपयोग अपनी दिनचर्या को प्लास्टिक रहित बनाने में करें और प्रकृति द्वारा दिए गए अद्वितीय स्रोतों से जीवनयापन करके सन्तोष की अनुभूति करें ।

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