2020 में कब से कब तक होंगे पितृ श्राद्ध

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फोटो इन्टरनेट से लिया गया 

 

 

 

हिन्दू धर्म में हर साल अपने पूर्वजों को स्मरण करते हुए पितृ श्राद्ध किए जाते हैं I हर साल यह अश्विन-कृष्ण पक्ष में आतें हैं I इस वर्ष पितृ श्राद्ध भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा (1 सितम्बर 2020 से शुरू होकर 17 सितम्बर 2020 तक हैं I इन तिथियों का शुरू और समाप्ति का समय भारतीय स्टैण्डर्ड समय (IST) में भी दिया गया है Iशास्त्रानुसार पितृ श्राद्ध बाद दोपहर ही किए जाने चाहिए I चलिए आपको बताते हैं किस दिन कौन सा श्राद्ध होगा और क्या समय रहेगा I

 

पूर्णिमा श्राद्ध

इस वर्ष पूर्णिमा का श्राद्ध 1 सितम्बर मंगलवार को किया जाएगा I  क्योंकि इस दिन पूर्णिमा सुबह 9 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर 2 सितम्बर सुबह 10 बजकर 52 मिनट तक है I परन्तु  पूर्णिमा का श्राद्ध सिर्फ 1 सितम्बर को ही किया जाएगा I

 

पहला (प्रतिपदा) का श्राद्ध

प्रतिपदा यानि पहला श्राद्ध इस वर्ष 2 सितम्बर बुधवार को किया जाएगा I

प्रतिपदा 2 सितम्बर सुबह 10 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर 3 सितम्बर  दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक है I 2 सितम्बर को प्रतिपदा शाम तक होने की वजह से श्राद्ध इसी दिन ही किया जाएगा I

 

 

 

दूसरा (द्वितीय) का श्राद्ध

इस वर्ष दूसरा यानि (द्वितीय) का श्राद्ध 3 सितंबर वीरवर को आएगा I

द्वितीय तिथि दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 4 सितम्बर दोपहर 2 बजकर 24 मिनट तक है I किन्तु दूसरा यानि (द्वितीय) का श्राद्ध 3 सितंबर को ही किया जाएगा I

 

नोट -: इस बार 4 सितंबर शुक्रवार को कोई भी श्राद्ध नहीं है I

 

तीसरा (तृतीया) का श्राद्ध

तीसरा श्राद्ध यानि तृतीया का श्राद्ध इस वर्ष 5 सितम्बर शनिवार को आएगा I

तृतीया तिथि 4 सितम्बर दोपहर 2 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर 5 सितम्बर शाम 4 बजकर 39 मिनट तक है Iइसलिए तृतीय का श्राद्ध 5 सितंबर को होगाI क्योंकि 5 सितम्बर को तृतीया तिथि दोपहर बाद तक भी है I

 

चौथा (चतुर्थी) का श्राद्ध

इस वर्ष चौथा चतुर्थी का श्राद्ध 6 सितंबर रविवार को आएगा I

चतुर्थी तिथि 5 सितम्बर शाम 4 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर 6 सितम्बर शाम 7 बजकर 07 मिनट तक है I अतः चतुर्थी तिथि शाम तक होने के कारण 6 सितम्बर को श्राद्ध किया जाएगा I

 

 यह भी पढ़ें -: पितृ पक्ष और श्राद्ध का महत्व

 

पांचवा यानि पंचमी का श्राद्ध  सोमवार 7 सितंबर  को किया जाएगा I

पांचवी तिथि 6 सितम्बर शाम 7 बजकर 07 मिनट शुरू होकर 7 सितम्बर रात 9 बजकर 39 मिनट तक है I  इसलिए पाचवां यानि पंचमी का श्राद्ध 7 सितम्बर को किया जाएगा I

 

छठा (षष्ठी) का श्राद्ध

छठा  यानि (षष्ठी) का श्राद्ध इस वर्ष मंगलवार 8 सितंबर  को  आएगा I

षष्ठी तिथि आठ सितम्बर रात्रि 12:00 बजे तक है I  अतः यह श्राद्ध इसी दिन किया जाएगा I

 

सातवाँ (सप्तमी) का श्राद्ध

सातवाँ (सप्तमी) का श्राद्ध इस वर्ष बुधवार 9 सितंबर को होगा I

सप्तमी तिथि रात्रि 2 बज कर 6 मिनट तक रहेगी अतः यह श्राद्ध 9 सितम्बर को होगा I

 

आठवां (अष्टमी) का श्राद्ध

आठवां (अष्टमी) का श्राद्ध 10 सितंबर गुरुवार को किया जाएगा I

अष्टमी तिथि रात्रि 3 बज कर 35 मिनट तक रहेगी I

ऐसी मान्यता भी है,कि अष्टमी को पिता का श्राद्ध भी किया जाता है क्योंकि अष्टमी को पितृ संज्ञा भी दी गई हैI

 

नवां (नवमी) का श्राद्ध

इस वर्ष नवां श्राद्ध शुक्रवार 11 सितंबर को किया जाएगा I

नवमी तिथि पूरा दिन रहेगी इसलिए नवमी का श्राद्ध 11 सितम्बर को ही किया जाएगा I

नवमीं तिथि को  सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहते हैं I  जिस स्त्री की उसके पति के जीवित रहते मृत्यु हो जाए तो उस स्त्री का श्राद्ध नवमी तिथि को भी किया जाता है I

 

 

दसवां (दसवीं) का श्राद्ध

दसंवा यानि दशमी का श्राद्ध इस वर्ष 12 सितंबर शनिवार को किया जाएगा I  दसवीं तिथि पूरा दिन होने के वजह से दशमी का श्राद्ध इस दिन होगा I

 

ग्यारवाँ (एकादशी) का श्राद्ध

ग्यारवाँ (एकादशी) का श्राद्ध इस वर्ष 13 सितंबर रविवार को किया जाएगा I

क्योंकि यह पूरा दिन रहेगी इस दिन इंदिरा एकादशी व्रत भी है I

 

बारवां द्वादशी का श्राद्ध  

बारवां यानि द्वादशी तिथि का श्राद्ध 14 सितंबर सोमवार को किया जाएगा I

द्वादसी तिथि 14 सितम्बर को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर रात्रि 1:30 बजे तक है I इसलिए श्राद्ध इसलिए कहा जाता है इस तिथि को सन्यासियों का श्राद्ध भी होता है I

  

तेरवां (त्रयोदशी) का श्राद्ध

तेरवां  (त्रयोदशी) श्राद्ध इस वर्ष  मंगलवार 15 सितंबर  को किया जाएगा I

मघा नक्षत्र होने के कारण मघा श्राद्ध भी कहा जाता है इस दिन भोम प्रदोष व्रत भी है I

चौदवां चतुर्दशी का श्राद्ध

चौदवां यानि चतुर्दशी का श्राद्ध इस वर्ष 16 सितम्बर बुधवार को किया जाएगा I

चतुर्दशी तिथि 15 सितम्बर रात्रि 11 :00 बजे से शुरू होकर 16 सितम्बर शाम 7 बजकर 57 मिनट तक है I इस दिन जिन मनुष्यों की अल्प काल में मृत्यु हो जाती और जिनकी दुर्घटना, डूबने , गिरने , शस्त्रघात आदि से  मृत्यु होती है तो उनका श्राद्ध भी इस दिन किया जाता है I

पंद्रहवां (अमावस्या) का श्राद्ध

पंद्रहवां (अमावस्या) का श्राद्ध वीरवार 17 सितम्बर को किया जाएगा I

अमावस्या तिथि 16 सितम्बर शाम 7 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर 17 सितम्बर शाम 4:30 मिनट तक है I जिस मनुष्य की मृत्यु तिथी ज्ञात नहीं हो तो उनका  श्राद्ध भी अमावस्या को किया जाता है I इसे सर्वपितृ या अमावस्या श्राद भी कहा जाता और इसके साथ ही श्रादों का समापन भी हो जाता है I

 

नानकपड़या (नाना-नानी) का श्राद्ध

नानकपड़या यानि नाना-नानी का श्राद्ध इस बार अमावस्या तिथि वीरवार 17 सितम्बर को किया जाएग I यह श्राद्ध जिन माता पिता के पुत्र संतान नहीं होती है तो उनके दोहते द्वारा किया जाता है I इस बार यह श्राद्ध अमावस्या तिथि की किया जाएग,क्योकि दुसरे दिन अधिक मास जिसे लोकल भाषा मलीमास भी कहते हैं I  इस मास में श्राद्ध आदि सभी शुभ कृत्य करने वर्जित होते हैं I

 

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